अति लाभकारी है महामृत्युंजय मंत्र का जाप

शिक्षा, रोजगार तथा व्यवसाय के साधन- मूल नक्षत्र के जातक अपनी आय एवं व्यय में संतुलन ना कर पाने के कारण कर्जों से परेशान रहते हैं। दूसरों को सलाह देने के बावजूद स्वयं उस सिद्घान्त पर अमल नहीं कर पाते। विभिन्न क्षेत्रों में कुशलता के कारण, इनके कार्य क्षेत्रों में प्रायः बदलाव होता रहता है, किसी भी जगह ठहराव की स्थिति बहुत कम देखने को मिलती है तथा इस कारण भी ये सदैव पैसे के जरूरतमन्द रहते हैं। अन्य नक्षत्र के लोगों की तुलना में इनका अस्तित्व अलग-सा प्रतीत होता है, मानो कोई अन्य बाहरी शक्ति इनकी सहायता करती हो। जातक अपनी आजीविका परदेस में कमाता है। व्यवसाय या पेशे के सिलसिले में अगर विदेश के अवसर मिलें तो छोड़ने नहीं चाहिये, क्योंकि यह अपने जन्मस्थान पर अच्छा भाग्य नहीं पा सकता जबकि विदेश में अच्छी सफलता प्राप्त कर सकता है। रोजगार एवं व्यवसाय के रूप में इन्हें धार्मिक विधि-विधान करने वाले, वकील, शिक्षक, राजदूत, सत्तापक्ष के सदस्य या मंत्री, डॉक्टर, सामाजिक कार्यकर्ता, साहित्यकार, इम्पोर्ट-एक्सपोर्ट, ललित कला तथा लेखन आदि क्षेत्रों में अधिक सफलता मिलने की सम्भावना रहती है।

पारिवारिक जीवन एवं स्वास्थ्य – कुछ अपवादों को छोड़कर, प्रायः यह देखा गया है कि मूल नक्षत्र में उत्पन्न व्यक्ति अपने माता-पिता से कोई लाभ नहीं पाते। ये स्वयं निर्मित व्यक्ति होते हैं। इनका वैवाहिक जीवन कुल मिलाकर संतोषजनक होता है। इनकी पत्नी में एक अच्छी गृहिणी के सभी गुण मौजूद होते हैं। इनकी कुण्डली में यदि मंगल, शनि या राहु खराब हो तो लकवा या पेट के रोगों की सम्भावना रहती है, किन्तु रोगों के बावजूद भी शारीरिक आकर्षण में कोई फर्क नजर नहीं आता। आमतौर पर इन्हें सियाटिका, जोड़ों में दर्द, आलस्य आदि विकार होने की सम्भावना ज्यादा रहती है।

स्त्री जातक – मध्यम रंग-रूप, ना काला ना ही गोरा। दांत भी घने ना होकर छितरे होते हैं। साफ दिल होने के बावजूद छोटे-छोटे मामलों में जिद्द तथा व्यवहार कुशलता की कमी रहती है। आमतौर पर शिक्षा भी कम ही होती है। इनका वैवाहिक जीवन भी पूर्णतया संतोषजनक नहीं होता। काफी केसों में विवाह में रुकावट तथा यदि सही समय शादी हो जाये तो तलाक या अन्य कारण से एकाकी जीवन जीना पड़ता है। मंगल प्रतिकूल होने पर बच्चों या पति के कारण बहुत-सी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। रोगों में इन्हें गठिया, कमर दर्द, हाथों एवं कन्धों में दर्द आदि होने के आसार रहते हैं।

 

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