अब कैसे पास करें ऑडीशन

यह तो अब जगजाहिर-सी बात है कि अपने देश में अभिनय प्रतिभा लोगों को उसी तरह जन्मजात मिली है जैसे कर्ण को कवच- कुंडल मिले थे। बचपन से लेकर बुढ़ापे तक सबका जीवन तरह-तरह की नौटंकी करते ही तो बीतता है। सच्चाई यह है कि हम शुरू से ही इस प्रतिभा के धनी थे और बचपन से ही रामलीला में सिाय भागीदारी करते आये हैं। खैर, पिछले दिनों सुना कि नये-नये टैलेंट शो हो रहे हैं अभिनय, गायन, हास्य आदि के क्षेत्र में। बस हमने भी निर्णय ले लिया कि चाहे जो हो जाए हम कम से कम ऑडीशन देने तो जाएंगे ही।

अगले दिन अपने लाख टके के थोबड़े को चुपड़कर करोड़ों का बनाया और पहुँच गए स्पॉट पर। अजी वहॉं तो पहले से ही करोड़ों-अरबों के थोबड़े लिये लाखों लोग खड़े थे।

ऑडीशन में हमारा नंबर भी जैसे तैसे आ ही गया। “हॉं जी, कहिए किसकी आवाज में कौन-सा गाना गाकर सुनाऊं, मैंने हुलस कर पूछा। “वो गाना-वाना बाद की बात है, पहले यह बताओ कि रोने में तुम्हारा कैसा परफॉर्मेंस है। दहाड़ें मार-मार कर रो सकते हो, यदि गिड़गिड़ा सको तो और बेहतर है।

“हैं, ये क्या, मैं समझा नहीं।’

“अरे ज्यादा समझने-समझाने की ़जरूरत नहीं है। क्या तुम्हें पता नहीं कि रोना-पीटना हमारे कार्याम की टीआरपी के लिए कितना ़जरूरी है? पिछली बार जो प्रतियोगी रोना नहीं जानते थे उन्हें बाकायदा टेनिंग देनी पड़ी थी और कम्बख्तों को जब तक टेनिंग नहीं दी तब तक एलिमिनेट भी नहीं कर पाए थे।’ हमने छाती पीट-पीट कर रोना-धोना दिखाया और पहला राउंड पार किया। अगले राउंड में कहा गया, “किसी ऐसे रिश्तेदार को बुलाओ जो टीवी सीन पर हमारे जजों को, चैनल वालों को और कार्याम को भला-बुरा कह सकता है, कोस सकता है, गालियां वगैरह भी दे दे तो चलेगा।’

हमने इस बार कारण नहीं पूछा और अपने दूर के मामा रगड़ सिंह के बारे में बताया। इस तरह हमने दूसरा राउंड भी पार कर लिया।

अगले राउंड में हमसे हमारे सोशल सर्कल के बारे में पूछा गया। कारण जानने पर पता चला कि… भई तुम्हारे यार दोस्त नहीं होंगे तो तुम्हें एसएमएस कौन करेगा और बिना एसएमएस पॉवर बैकअप के तो किसी का बाप भी किसी को नहीं जिता सकता।’ खैर उसमें भी अपनी लफंडर मंडली का रेफरेन्स काफी काम आया। हमने सोचा कि चलते-चलते गाना भी सुना दें। उन्होंने साफ मना करते हुए कहा, “छोड़ो-छोड़ो फालूत में टाइम मत खराब करो। सीधे स्टेज पर ही गाना। तुम्हारा सलेक्शन हो गया है। “जय हो’ हमने उद्घोष किया। चलो यदि प्रतियोगिता नहीं भी जीते तो ऑडीशन देने की कोचिंग तो खोल ही लेंगे। हम बेहद प्रसन्न हुए।

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