यह किस्मत का खेल ही है कि कभी अक्षय कुमार और शांति प्रिया ने अपनी एक ही फिल्म सौगन्ध से बॉलीवुड में कदम रखा था। लेकिन आज अक्षय कुमार एक सुपर स्टार हैं और शांति प्रिया का नाम लोग लगभग भूल ही चुके हैं। दक्षिण की फिल्मों से हिन्दी फिल्मों में अपना अभिनय सफर तो शांति ने सौगन्ध से ही शुरू किया पर इसके अलावा भी उसने मेरे सजना साथ निभाना – फूल और अंगार, इक्के पे इक्का, मेहरबान और जमीर की आवाज जैसी फिल्में की लेकिन फिल्में न चलने के कारण शांति प्रिया भी नहीं चलीं। लेकिन अब एक लंबे अंतराल के बाद शांति की अभिनय की दुनिया में फिर से वापसी हुई है, सहारा वन चैनल के धारावाहिक माता की चौकी से। इसमें वह मॉं वैष्णो देवी की भूमिका में हैं।
आप एक लंबे अरसे बाद फिर से ग्लैमर वर्ल्ड में लौटी हैं। इस दौरान आप क्या करती रहीं?
मैंने दिसम्बर 92 में शादी कर ली थी। तब मैंने अपने घर-परिवार पर ही ध्यान दिया। अब मेरे बच्चे बड़े हो गए हैं, बड़ा लड़का 14 साल का है और छोटा 9 साल का। इसलिए अब मुझे काम करनेे में कोई दिक्कत नहीं है।
बरसों पहले भी आपने एक धारावाहिक किया था विश्र्वामित्र जिसमें आप शंकुतला बनी थीं!
चलिए किसी को तो याद है। वह मेरा हिन्दी लाइन में पहला काम था और मेरा पहला धारावाहिक था। उसके बाद ही मुझे हिन्दी फिल्में मिलीं। इस दौरान कोई और धारावाहिक नहीं किया। यह मेरा दूसरा धारावाहिक है।
अब आपको मॉं वैष्णो देवी का किरदार निभाने का मौका मिला है। क्या आप भी भगवान में या मॉं दुर्गा में आस्था रखती हैं?
मैं भगवान में 500 परसेन्ट विश्र्वास करती हूँ। मैं नवरात्र करती थी, उपवास करती हूँ। जिस दिन मैंने माता की चौकी धारावाहिक साइन किया उसी दिन से मैंने नॉन वैज खाना छोड़ दिया है।
क्या आपने पहले भी दक्षिण में कोई धार्मिक फिल्म की थी?
नहीं, धार्मिक रोल मैं पहली बार कर रही हूँ।
अपने इस रोल को कर, आप कैसा महसूस कर रही हैं और कैसे अनुभव हो रहे हैं?
मैं तो इसे अपने लिए मॉं दुर्गा की बहुत बड़ी कृपा मान रही हूँ। वैष्णो देवी के बारे में कहा जाता है कि वहॉं आदमी तभी जा पाता है जब मॉं का बुलावा आता है। हम सिद्धि विनायक मंदिर जाते हैं, महालक्ष्मी मंदिर जाते हैं पर सिर्फ कुछ ही मंदिरों के बारे में यह प्रचलित है कि वहॉं बुलावा आने पर ही जा सकते हैं। मैं तो इतने बरस बाद इंडस्ट्री में लौटी हूँ और मुझे सिर्फ मॉं वैष्णो देवी का धारावाहिक ही नहीं मिला, वैष्णो देवी का रोल तक मिल गया है। इसे मैं अपना सौभाग्य मानती हूँ।
आप क्या कटरा में वैष्णों देवी मंदिर गई हैं।
हॉं, मैं वहॉं गई हूँ, रोल मिलने से पहले भी गई थी और बाद में भी। मैं समझती थी वहॉं साक्षात मॉं के दर्शन होते होंगे लेकिन वहॉं तो मॉं की तीन छोटी पिंडियां हैं। मैंने आँख बंदकर उनका वैसा रूप देखने की कोशिश की जैसी मैंने कल्पना की थी।
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