सर्वविदित है कि यौन सुख पाने के लिए सेक्स के समय कामोत्तेजना एवं चरमोत्कर्ष का कितना महत्व है। देखा जाये तो इनके अभाव में सेक्स का कोई मायने ही नहीं रहता। किंतु कई महिलाएँ अनेकों बार यौन क्रिया के दौरान कामोत्तेजना एवं चरमोत्कर्ष का अभिनय मात्र करती हैं। उनका साथी इस नकली योनोत्तेजना अर्थात अभिनय को समझ नहीं पाता और समझता है कि उसने और उसके साथी ने सेक्स का पूर्ण आनन्द उठाया है, जबकि हकीकत इससे कोसों दूर होती है। कभी ना कभी तो प्रायः प्रत्येक महिला इस अनुभव से गुजरती है। कुछेक को तो बरसों वैवाहिक जीवन व्यतीत करने के पश्चात् भी चरमोत्कर्ष का अनुभव सिरे से ही नहीं होता। चरमोत्कर्ष अभिनय का सहारा महिलाएँ कहीं अधिक लेती हैं, बनिस्पत पुरुषों के। शोधकर्ताओं के अनुसार मात्र 25 प्रतिशत महिलाएँ ही यौन क्रिया के दौरान सदैव या कहें तकरीबन हर बार कामोत्तेजना का अनुभव करती हैं, बाकी सब इस मामले में अभिनय का सहारा लेती हैं, जबकि तकरीबन 90 प्रतिशत पुरुष यौन क्रिया में सक्रिय रहकर कामोत्तेजित होते हैं।
तकरीबन तीन में से एक महिला वैवाहिक जीवन के शुरुआत में तो सहवास के दौरान सेक्स का पूर्ण लुत्फ उठाती है, किंतु अधिक समय तक यह प्रक्रिया अपने स्वाभाविक रूप में जारी नहीं रहती। दस में से एक महिला को कभी चरमोत्कर्ष या कामोत्तेजना का अनुभव ही नहीं होता। यह स्थिति एनार्गेजमिया कहलाती है। ऐसी महिलाएँ, जिन्हें कामोन्माद अथवा चर्मोत्कर्ष का कोई अनुभव ही नहीं होता, सेक्स के दौरान इनकी अहमियत भी नहीं जान पातीं।
महिलाओं में इस स्थिति के पीछे मुख्य रूप से दो कारण रहते हैं – महिलाएँ अपने साथी को खुश करने के लिए, या कहें कि उनके साथी को बुरा ना लगे, इसीलिए उत्तेजना का अभिनय करती हैं, जिसे उनका साथी समझ नहीं पाता। दूसरे, थकान या अनिच्छा के चलते भी सेक्स क्रिया को जल्द समाप्त करने के लिए वे कामोत्तेजना तथा चरमोत्कर्ष का नाटक मात्र करती हैं।
अन्य कारणों में- जिन महिलाओं को कामोत्तेजना से कुछ लेना-देना नहीं होता और जो मात्र परस्पर अंतरंगता स्थापित करने के लिए ही यौनक्रिया में लिप्त होती हैं, वे भी साथी की खुशी के लिए तथा संबंधों की बेहतरी के लिए ऐसा अभिनय करती हैं। कुछ महिलाएँ जब कभी अपनी सहेली से इस बाबत बात करती हैं और उन्हें पता चलता है कि महिलाएँ कृत्रिम उत्तेजना का सहारा लेती हैं, तो वे भी सुभीते के लिए ऐसा करने लगती हैं। कभी-कभी जब पुरुष सहवास के दौरान अपनी प्रेयसी की योनोत्तेजना जागृत करने के लिए पुरजोर प्रयास करता है तो अपने साथी को निराशा से बचाने के लिए भी महिलाएँ कामोत्तेजित होने का अभिनत करती हैं। उन्हें भय रहता है कि पुरुष उनकी स्थिति को समझ नहीं पायेगा तो कहीं उन्हें त्याग ही ना दे।
कामोत्तेजित होने या ना होने पर महिलाओं का कोई वश नहीं होता और ना ही इसमें उनका कोई दोष होता है। कुछ महिलाओं को स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ भी हो सकती हैं। ऐसे में अगर उन्हें सहवास के दौरान किसी प्रकार की असुविधा या पीड़ा हो और वे यौन क्रिया को रोकना या समाप्त करना चाहें, तो भी वे कृत्रिम कामोत्तेजना का सहारा लेती हैं। इसके अतिरिक्त, जिंदगी में व्याप्त तनाव, परेशानी, हताशा, ग्लानि एवं निराशा जैसी मानसिक एवं भावनात्मक स्थितियों के साथ-साथ दवाइयों का प्रयोग, शराब इत्यादि नशीले पदार्थों का सेवन तथा मधुमेह एवं उच्च रक्तचाप जैसी बीमारियों के चलते भी कई महिलाओं को कामोत्तेजना नहीं होती और वे सहवास के दौरान इसका अभिनय मात्र करती हैं।
एक अध्ययन से यह भी पता चला है कि जो महिलाएँ अधिकांशतः कृत्रिम कामोत्तेजना का सहारा लेती हैं, वे सामाजिक कार्यामों या पार्टियों इत्यादि में प्रायः अपने साथी की अवहेलना करती हैं और पर पुरुषों के साथ अधिक समय व्यतीत करना पसंद करती हैं।
इस बारे में नारीवादियों का तर्क है कि कृत्रिम कामोत्तेजना अथवा महिलाओं द्वारा उत्तेजना का प्रदर्शन मात्र करने के पीछे पुरुष केन्द्रित यौन क्रिया रहना भी एक कारण है।
वैज्ञानिकों अनुसार महिलाओं में कृत्रिम कामोत्तेजना या उनके अभिनय को उनका साथी चाहे ना भॉंप सके किन्तु उनका अपना मस्तिष्क जरूर समझ लेता है। शोधकर्ताओं ने स्कैन द्वारा दिखला दिया कि कामोत्तेजना के दौरान मस्तिष्क के विभिन्न हिस्से सिाय हो जाते हैं किंतु कामोत्तेजना का अभिनय मात्र करने पर वे निषिय ही रहते हैं। चेतना से संबंधित र्कोटेक्स भी कृत्रिम कामोत्तेजना के समय सक्रिय ही रहता है, जबकी सामान्य कामोत्तेजना के वक्त निषिय हो जाता है।
अगर आपका साथी कामोत्तेजना का अभिनय मात्र करता है, तो ऐसे में आपको चाहिए कि किसी प्रकार की झुंझलाहट, गुस्सा या किसी और प्रकार की प्रतिक्रिया ना करके, आराम से बैठकर बातचीत करें और उसकी समस्या का पता लगायें। ऐसे में दोषारोपण करना भी ठीक नहीं रहता, क्यूंकि महिलाओं में समय-समय पर ऐसा होता रहता है। उसके प्रति अपने प्रेम का इजहार करें। यह भी महत्वपूर्ण है कि उसे आप में विश्वास हो कि वह आप से खुलकर बात कर सके। अधिकतर महिलाएँ साथी से अपनी अच्छा और अनिच्छा जाहिर करने में झिझक महसूस करती हैं। अतः आपके द्वारा पहल करना आवश्यक हो जाता है कि यौन क्रिया के दौरान उसे क्या अच्छा लगता है? इसके अतिरिक्त, सही मायने में कामोत्तेजित होने के लिए महिला का साथी के साथ-साथ अपने आपके प्रति आकर्षित होना भी आवश्यक है। अतः उसके साथी को चाहिए कि वह उसके सौंदर्य और फिगर की तारीफ करता रहे। सेक्स के प्रति उसकी कल्पनाओं को बढ़ावा दे और उन पर खरा उतरने का प्रयास करे।
ऐसे में महिलाओं को भी चाहिए कि यौनक्रिया के दौरान किसी प्रकार की पीड़ा या असुविधा हो तो स्त्री रोग विशेषज्ञ से परामर्श लें। यदि ऐसा नहीं है तो किसी सेक्स थेरेपिस्ट से परामर्श किया जा सकता है।
प्रस्तुति-डॉ. नरेश बंसल
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