अर्ज करू अजमाल जी चावा
हरी राख बारी थारी
गवरी पुत्र गणेश मनाऊ।
रिद्ध सिद्ध रा दाता धारी
अजमल सुत रामदेव राजा
रामकंवर अजमल धारी
दातण फार संपाडे बैटा
दाक्षण री कितरी फारी
भक्तारा धनीया आप
पधारीया इसडी बात मालक थारी
बालद लाद लायों बिण जारो
बालद में मिश्री भारी
आप फवरजी परचो दिनों
लुण कर बालद सारी
दुर देशा रा आवे जात्री
प्रजा जात दुडे भारी
लाडु चोखा चढे चुरमा
रूपया से पुजे भारी (जारी)
गोकुल से प्रभु काना अवतर्या
आप बडा क्षमा धारी
खिवजी रे शरणे लिखमो बोले
राखो अलक लजामारी
अर्ज करू अजमालजी रा चावा
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