चैत्र वदी तीज को अक्षय तृतिया आती है। वैसे तो अक्षय तृतिया यानि आखा तीज को खीचडा व आमली का भोजन बनना अनिवार्य है, तवा भी नहीं चढता है, लेकिन हम लोग ओख होने की वजह से दूज व तीज को खीचडा नहीं बनाते है। इस दिन दान पुण्य का बहुत महत्व है व कोरी मटकी, कोरी साडी पहन कर छानने का विशेष महत्व है। मटकी का दान चालनी, पानी छानने के लिए व पानी, दान में देने के लिए शक्कर व आम, मटकी पर रख देते है।
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