इस महीने की तेरह तारीख को दिल्ली में हुए बम-विस्फोट की गुत्थी बहुत हद तक सुलझती समझ में आ रही है। दिल्ली पुलिस ने सटीक सुरागरशी के जरिये ओखला में आतंकवादी ठिकाने पर जो कार्रवायी की, उसमें उसने अपने एक जॉंबाज इंस्पेक्टर मोहन चन्द्र शर्मा को खोया भले, लेकिन दो आतंकवादियों के एनकाउंटर तथा एक आतंकवादी की गिरफ्तारी के साथ ही एक बड़ी सफलता भी उसके हाथ लगी। कहा तो यह भी जा सकता है कि देश के आतंकवादी इतिहास में पहली बार यह एक महत्वपूर्ण सफलता हासिल हुई है। इस सफलता ने न सिर्फ दिल्ली में हुए बम विस्फोटों का पर्दाफाश किया है, अपितु जयपुर, अहमदाबाद और पिछले दिनों उ.प्र. की अदालतों में हुए बम-विस्फोटों के रहस्यों को भी उजागर किया है। ओखला की मुठभेड़ के समय आतंकवादी ठिकाने से बरामद किये गये लैपटाप और मोबाइल फोन के जरिये पुलिस उस पूरे नेटवर्क को पूरी तरह खंगाल रही है जिसे आतंकवादियों ने लगभग देश के हर हिस्से में प्रसारित कर रखा है। पुलिस अपने इस मुहिम में जी-जान से जुटी हुई है, इस कारण वह सूचनाओं को सार्वजनिक करते हुए काफी एहतियात बरत रही है। फिर भी जिन सूचनाओं को उसने अब तक सार्वजनिक किया है, वे हैरत अंगेज तो हैं ही, इसके अलावा उनसे आतंकवादियों की खतरनाक योजनाओं तथा राष्टीय स्तर पर प्रसारित नेट वर्क और संबंधों का भी पता चलता है।
अब तक सूचनाओं के आधार पर गिरफ्तार किये गये कथित आतंकवादियों के हवाले से पुलिस ने बताया है कि अगर पुलिस अपने ओखला अभियान में कामयाब न हुई होती तो आतंकवादियों की योजना दिल्ली में कई महत्वपूर्ण स्थानों पर लगभग 20 बम-विस्फोट करने की थी। पुलिस ने पिछले दिनों देश के विभिन्न शहरों में हुए बम-विस्फोटों के पीछे अब तक कुल 14 आतंकवादियों की भूमिका होने की बात बतायी है। एक चौंकाने वाला तथ्य यह है कि इनमें से 13 उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के रहने वाले हैं। तथ्य यह भी है कि आतंकवादी कार्यवाहियों में लिप्त लगभग सभी आतंकवादी उच्च-शिक्षा प्राप्त हैं और आर्थिक तौर पर खाते-पीते परिवारों से ताल्लुक रखते हैं। अतएव यह कहना मुश्किल है कि ये लोग इतनी नृशंस और घिनौनी हरकत सिर्फ धन कमाने के लालच के चलते कर रहे हैं। खुलासा इस बात का भी हुआ है कि इंडियन मुजाहदीन नाम की संस्था जिसने इस बीच घटित लगभग सभी आतंकी घटनाओं की जिम्मेदारी अपने ऊपर ली है, काल्पनिक नहीं है। अब इसमें कयासबाजी के लिए कोई जगह नहीं रह गई है कि आतंकी घटनाओं के पीछे इंडियन मुजाहदीन नाम के आतंकी संगठन का ही हाथ है। यह संगठन प्रतिबंधित संगठन सिमी की सहायता से और पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन लश्करे-तैयबा के निर्देशन पर बम-ब्लास्ट की घटनाओं को अंजाम देता आया है। स्थानीय स्तर पर इसे समुदाय विशेष के कतिपय कट्टरतावादी लोगों ने भी अपना सहयोग दिया है। पाकिस्तान की कुख्यात खुफिया एजेंसी आईएसआई इनकी सभी योजनाओं की अंतिम योजनाकार है।
अभी बहुत सारे तथ्य और खुलासे आने बाकी हैं, लेकिन जो अब तक सामने आये हैं उनसे इस बात का पता तो चलता ही है कि पाकिस्तान और उसकी आईएसआई भारत को तबाह और बर्बाद करने के अपने मंसूबे से राई-रत्ती भी पीछे नहीं हटी है। जब से सीमा पार से प्रायोजित होने वाले आतंकवाद के खिलाफ भारत का रुख कड़ा हुआ और इस मसले पर विश्र्व-समुदाय के सामने भारत ने पाकिस्तान को घेरना शुरू किया, तब से पाकिस्तान ने अपनी भूमिका के कोण बदल दिये हैं। उसने बड़ी कुशलता के साथ सिमी के सहयोग से एक नये संगठन को खड़ा कर दिया जिसे नाम भी “इंडियन मुजाहदीन’ दिया गया। सारे आतंकवाद को संचालित करते हुए भी इस “इंडियन’ नाम से पाकिस्तान के लिए यह गुंजाइश बन गई कि वह हमारी जमीन पर घटने वाली घटनाओं से बड़ी आसानी के साथ पल्ला झाड़ सकता है। दिल्ली पुलिस ने अन्य खुफिया और सुरक्षा संगठनों की सहायता से बहुत हद तक आतंकी नेटवर्क के ताने-बाने को तोड़ने और उसके मास्टर माइंड आतिफ अमीन उर्फ बशर सहित ढेर सारे आतंकवादियों को अपनी गिरफ्त में लेने की बड़ी कामयाबी हासिल की है, लेकिन इसे हर हाल में पहली ही माना जाएगा अंतिम नहीं। यह ़जरूर है कि इस हमले ने आतंकवाद की परिधि तोड़ी है। लेकिन मुकम्मल कामयाबी के लिए इसके केन्द्र को तोड़ना होगा। यह तो अंतिम रूप से मानकर चलना होगा कि पाकिस्तान अपनी नापाक हरकतों से बाज आने वाला नहीं है। उसे हमारे खिलाफ आतंकवाद को संचालित करने में कामयाबी सिर्फ इस वजह से मिलती है कि हमारे राष्टीय समाज में उन लोगों की मौजूदगी है जो यह समझते हैं कि आतंकवादियों का “जेहाद’ हक और इंसाफ की बुनियाद पर खड़ा है। इस सोच के साथ इनका सहयोग और इनकी सहानुभूति आतंकवादियों के साथ जुड़ती है। आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक युद्घ के लिए इन लोगों के दिलो-दिमाग से इस तरह की सोच को हर हाल में मिटाना होगा। आतंकवाद के पनपने की बुनियाद यही सोच है। इस सोच की जमीन अगर आतंकवाद के पांव के नीचे से खींच ली जाय तो वह अपने आप धराशायी हो जाएगा।
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