13 साल की तान्या ने ठान लिया था कि आज वह मम्मी के साथ रात का खाना खाने के बाद रात में 11 बजे घूमने जाएगी। उसकी क्लास में पढ़ने वाली एक दोस्त ने उसे बताया था कि जब वह अपनी मम्मी-पापा के साथ देर रात में घूमने जाती है तो उसे बहुत अच्छा लगता है। तान्या की मम्मी ने उसे समझाया कि इतनी रात गए वह अकेले उसके साथ बाहर नहीं जा सकती। लेकिन तान्या ने ठान लिया था कि वह किसी भी कीमत पर घूमने जरूर जाएगी। खैर, उसकी मम्मी उसे लेकर जब सोसाइटी से बाहर निकलीं तो इतनी रात में बाहर सड़क पर उन दोनों को कोई नहीं दिखाई दिया। चारों ओर सुनसान था। यह देखकर तान्या थोड़ा घबरा गई। वह थोड़ी देर तक तो मम्मी के साथ चलती रही, लेकिन उसे सचमुच काफी डर लग रहा था। उसने मम्मी से वापस घर चलने को कहा। उसकी मम्मी ने उसे डांटा कि क्या अब वह समझ गई है कि रात में इस समय उन दोनों के लिए अकेले घूमना सचमुच कितना मुश्किल है।
तान्या जैसे कई बच्चे जिद्दी स्वभाव के होते हैं। वह अपने माता-पिता की बात नहीं मानते। ऐसे बच्चों के साथ जन्म से लेकर उनके वयस्क होने तक माता-पिता को कई तरह की भावनात्मक समस्याओं से जूझना पड़ता है। बच्चे यदि जिद्दी हों और वह माता-पिता का कहना न मानते हों तो ऐसे बच्चे उनके लिए सचमुच एक बड़ी समस्या बन जाते हैं। ऐसे माता-पिता को चाहिए कि वह स्वयं भी धैर्य बनाकर रखें और समझदारी के साथ बच्चे को धीरे-धीरे समझाने का प्रयास करें।
कई बच्चे इस हद तक जिद्दी होते हैं कि वह ऐसी स्थितियां पैदा कर देते हैं जिनमें माता-पिता को सचमुच शर्म महसूस होती है। एक बार यदि वह कोई बात ठान लेते हैं तो माता-पिता उन्हें चाहे कितने प्यार से समझायें या धमकायें, लेकिन वह अपने निर्णय को नहीं बदलते। ऐसी स्थिति में कई माता-पिता को ही बच्चे के आगे झुकना पड़ता है। बच्चे के जिद करने पर माता-पिता भी गुस्से में आ जाते हैं। उन्हें भी बच्चे का व्यवहार अपनी भूमिका के सामने चुनौतीपूर्ण लगता है। ऐसी स्थिति में बच्चे के साथ गुस्सा करना आग में घी का काम करता है। बच्चे को धैर्य से समझायें, उसे काबू में करने, समझाने में माता-पिता का धैर्य रखना ही उनका सबसे बड़ा हथियार होता है। हालांकि यह बात कहने में बहुत आसान लगती है। जो माता-पिता इस तरह के जिद्दी, अड़ियल बच्चों के साथ रहते हैं, वह हर समय धैर्य नहीं रख पाते। कुछ भी हो जिद्दी, अड़ियल बच्चे के साथ समझदारी से पेश आएं। यदि आपका बच्चा अपने कमरे को साफ-सुथरा नहीं रखता, माता-पिता यदि उसे दिन-रात कमरे को साफ-सुथरा रखने की नसीहत देते हैं, इसके बावजूद वह उनकी अनसुनी करता है, तो ऐसी स्थिति में बच्चे को समझाने के लिए उसे साफ-सुथरा रहने का महत्व समझायें। धैर्य के साथ स्वयं उसके अस्त-व्यस्त, बिखरे कमरे को व्यवस्थित करें। ऐसा करने के दौरान उसे प्यार से समझायें। उसे कहें कि वह जब तक अपने कमरे की स्वयं साफ-सफाई नहीं करता, तब तक वह टी.वी. नहीं देख सकता। बच्चे के साथ लगातार धैर्य बनाकर रखें, क्योंकि एक स्थिति के बाद अवज्ञा से बच्चा भी थक जाएगा। उसे भी आपकी सीख भली लगेगी। यदि बच्चे के सामने किसी काम का विकल्प रखा जाए तो वह भी बेहतर ढंग से अपने विकल्प का चुनाव करेगा।
आपका बच्चा किस हद तक कितना जिद्दी है? वह आपकी कितनी बात मानता है? वह एक स्थिति के बाद आपकी बात मानता है या फिर वह किसी भी कीमत पर आपकी बात नहीं मानता। इन तमाम स्थितियों को माता-पिता को ध्यान में रखना होगा। यदि माता-पिता छोटेपन से ही बच्चे के अड़ियलपन को चिह्नित करने लगते हैं तो उन्हें उस उम्र से ही उसे समझाने का प्रयास करना चाहिए। यदि छोटेपन में इस ओर ध्यान न दिया जाए और बच्चे के बड़े होने पर एकाएक समझाने का प्रयास किया जाए तो स्थिति भिन्न होती है। यदि बच्चा टीन-एज है तो ऐसी स्थिति में बच्चे के साथ बिल्कुल अलग ढंग से पेश आना होता है, क्योंकि टीन-एज ही वह अवस्था होती है जब बच्चे में कई तरह के शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक बदलाव होते हैं। माता-पिता को ऐसे बच्चे के साथ पेश आते समय यह नहीं भूलना चाहिए कि वह भी परिवर्तन के इस दौर से गुजरे हैं। कहा जाता है कि टीन-एजर से ज्यादा जिद्दी, अड़ियल कोई नहीं होता। यह वह दौर होता है, जब बच्चे वयस्क होने की दिशा में होते हैं। इस उम्र में बच्चे अक्सर बड़ों की बात मानने में आनाकानी करते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि अब वे अपने निर्णय स्वयं ले सकते हैं। माता-पिता को चाहिए कि वह बच्चे की उम्र के साथ बदलती शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक स्थितियों को समझें। उम्र के इस बदलाव के दौर में जिद्दी और अड़ियल बच्चे के साथ ज्यादा अच्छे ढंग से पेश आना चाहिए। उन्हें यह समझाना चाहिए कि जो कुछ वह सोच रहे हैं, वो गलत है। अगर गलत है तो क्यों गलत है? माता-पिता को भी इस बात को अच्छी तरह से समझना चाहिए कि बच्चा यदि किसी भी तरह का उन्हें न अच्छा लगने वाला व्यवहार करता है तो उन्हें भी धैर्य से काम लेना चाहिए।
बहरहाल, बच्चे का जिद्दी होना, दूसरों की न सुनना अक्सर माता-पिता उनकी इस बात की आलोचना दूसरों से करते हैं। इसके कई सकारात्मक पहलू भी हैं। माता-पिता को चाहिए कि बच्चे के जिद्दी स्वभाव के बारे में अपने नजरिए को सकारात्मक बनाएं। बच्चे का जिद्दीपन उसके अपने आपका प्रदर्शन भी हो सकता है। बच्चा अपने भीतर के शारीरिक, मानसिक परिवर्तनों के बदलाव की वजह से ऐसा करता है। बच्चे का किसी एक बात पर अड़े रहना उसे आत्मविश्र्वास देता है। इससे बच्चा विपरीत स्थिति पर नियंत्रण करना सीखता है। माता-पिता को भी चाहिए कि वह बच्चे के जिद्दी स्वभाव के कारणों को समझने का प्रयास करें।
– नंदना गौर
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