“”शारीरिक स्वस्थता के तीन चिह्न हैं, 1. खुलकर भूख लगना, 2. गहरी नींद, 3. काम करने के लिए स्फूर्ति। आत्मिक समर्थता के भी तीन चिह्न हैं, 1. चिंतन में उत्कृष्टता का समावेश, 2. चरित्र में निष्ठा और 3. व्यवहार में पुण्य-परमार्थ के लिए पुरुषार्थ की प्रचुरता। इन्हीं को उपासना, साधना और आराधना कहते हैं। इन तीनों के सधने से ही जीवन सफल होता है।”
प्रार्थना
“”प्रार्थना तो एक प्रकार का प्रायश्र्चित है। विभिन्न प्रकार के स्वार्थों, चिन्ताओं, व्याकुलताओं, रोगों, व्याधियों व दुर्बलताओं को प्रक्षालित करने के लिए यह एक सर्वसुलभ साधन है। प्रार्थना में जो संभावनाएँ हैं, जो उत्तम इच्छाएँ प्रकाशित की जाती हैं, उनसे एक प्रकार का आध्यात्मिक प्रवाह फैलने लगता है।”
– पं. श्रीराम शर्मा आचार्य
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