एक इराकी पत्रकार ने इराक में हो रहे प्रेस कानेंस के दौरान अपने पैरों से जूते निकालकर एक के बाद एक बुश पर दे मारा। बुश को कोई जूता तो नहीं लग सका क्योंकि बुश साहब झुक गए थे। परंतु यहॉं तक नौबत कैसे आन पहुँची, यह सोचने वाली बात है। दुनिया में अमेरिका सबसे ताकतवर देश है, यह सभी जानते हैं। ऐसे ताकतवर देश के राष्टाध्यक्ष हैं बुश। अतः इनके ताकत का अन्दाजा कोई भी लगा सकता है। ऐसे शख्स के ऊपर जूते पड़ना अनादर व शर्म की बात है। बहुत बड़ी बेइज्जती है बुश की। उनकी नीतियों की। इराक को बुश और उनके घमंड ने बर्बाद कर दिया। पूरा देश बमों के धमाकों में झुलस रहा है। तमाम परिवार बर्बाद हो गए। औरतें, बच्चे अनाथ हो गए, घर से बेघर हो गए। यह सब हुआ केवल बुश और उनकी नीतियों के कारण।
बुश अब अमेरिका के राष्टपति पद से विदाई लेने वाले हैं। और जाते-जाते उन्हें ऐसा तोहफा मिला जो संभवतः बुश ही नहीं, अमेरिकी इतिहास में काले पन्नों में लिखा जाने योग्य है। लेकिन गलती इराकी पत्रकार की नहीं है। दिल का दर्द जब हद से अधिक बढ़ जाता है तो इससे भी विकराल रूप में प्रकट होता है। जब आप किसी पर जुल्म की इंतिहां कर देंगे, एक भरे-पूरे देश को अपनी सनक से तबाह-बर्बाद कर देंगे तो अंजाम भी तो भुगतना पड़ेगा। तभी तो एक ताकतवर देश का ताकतवर राष्टाध्यक्ष जूता खाने पर मजबूर हुआ।
बुश साहब! इज्जत कमाने में उम्र लग जाती है लेकिन गंवाने के लिए एक लम्हा ही काफी होता है। वैसे भी आपने केवल अपना रुतबा बढ़ाया था, सम्मान तो पहले ही खो चुके थे।
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