एक ही गुरु के पास दोनों पढे थे। दोनों पढे थे॥
श्रीकृष्ण छोटे और, सुदामा बडे थे॥ टेर ॥
एक दिन गुरुजी ने दोनों को बुलवाया।
लाने को लकडियाँ वन में भिजवाया।
पाकर के आज्ञा दोनों वन को चले थे॥ 1 ॥
वन में गये जब वो, आँधी जोर की आई।
होने लगी बरखा, घंटा (जोर) घोर की छाईं॥
एक ही पेड के नीचे दोनों खडे थे॥ 2 ॥
लगी भूख दोनों को घर याद जब आया।
सुदामा ने छुपकर चबीना था चबाया।
पा लिये जो भी दाना, माता ने दिये थे।
सुदामा ने छुपकर, चोरी से चने खाये।
नहीं उसने अपने प्रेमी को बताये॥
इसी कर्म से सुदामा, निर्धन बने थे॥ 4 ॥
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