रॉंची के अनिरुद्घ सिंह “बेचैन’ के चाचा जी जमीन पर दरी बिछाए आँगन में सो रहे थे। ग्रीष्म ऋतु थी। चंद्रमा की धवल किरणें चारों ओर बिखरी हुई थीं। एक सॉंप उनके शरीर पर चढ़ गया। वे जाग तो गये, पर शरीर को हिलाने-डुलाने या खड़े होने में डर रहे थे। उसी समय एक बिल्ली आई, सॉंप को देखकर उसने झपटने का प्रयास किया। बिल्ली आगे बढ़ी होगी कि सॉंप एकदम कोई सात फीट दूर जा गिरा। चाचा जी को पता भी न चल सका कि यह सब कुछ कैसे हो गया। उन्होंने उठकर देखा कि आज बिल्ली ने उनके प्राण बचा लिए हैं। यह बिल्ली पालतू नहीं थी, पर कभी-कभी उनके घर में आ जाया करती थी। देखकर सभी यह सोचने को विवश थे कि बिल्ली जैसी करुणा हम मानवों में भी हो तो यह धरा स्वर्ग बन जाए।
Share on Facebook
Follow on Facebook
Add to Google+
Connect on Linked in
Subscribe by Email
Print This Post
करुणा added by सम्पादक on
View all posts by सम्पादक →
You must be logged in to post a comment Login