पाकिस्तान में राष्टपति पद पर आसीन होने के साथ ही आसिफ अली जरदारी ने कुछ मनमोहक और लुभावनी घोषणायें की हैं। लेकिन इस तरह की घोषणाओं का यथार्थ अब तक इतने तक ही सीमित रहा है कि शासनारूढ़ होने वाली हर शख्सियत ने इसी तरह की घोषणायें की हैं, जो कभी जमीनी ह़कीकत नहीं बन सकीं। इनमें एक कश्मीर का भी मुद्दा है। पाकिस्तान का अब तक कोई शासक ऐसा नहीं रहा है, चाहे वह तानाशाह रहा हो या कोई सियासी शख्सियत, जिसने अपनी ताजपोशी के वक्त कश्मीर-राग न गाया हो। जरदारी साहब ने भी वह रस्म निभाने में कोई कोताही नहीं बरती है। हालॉंकि पाकिस्तान के इस नये राष्टपति ने इस बाबत औरों की तरह न सख्त जुमलों का इस्तेमाल किया है और न ही खुले या छिपे तौर पर भारत की ओर कोई चेतावनी उछाली है। जिन मुशर्रफ साहब से उन्होंने गद्दी हासिल की है, वे जाने के पहले फर्मा गये थे कि कश्मीर हर पाकिस्तानी के दिल की धड़कन है। अब उसी गद्दी पर बैठने जा रहे जरदारी साहब के लिए यह जरूरी था कि इस धड़कन को जिन्दा रखें। सो उन्होंने पाकिस्तान के लिए उम्मीद का एक तोहफा यह कहते हुए भेंट किया कि इस महीने के अन्त तक कश्मीर मसले पर कुछ “मुबारक’ खबर जरूर मिलेगी। हैरत की बात तो यह है कि उन्होंने इस “मुबारक’ की समय सीमा भी निर्धारित कर दी।
उनकी यह खबर-“मुबारक’ पाकिस्तान के लोगों को किस नशे में झूमने को मजबूर करती है, इसका अंदा़जा लगाना बहुत मुश्किल है। लेकिन भारत में इस खबर पर अचंभे के अलावा और कोई प्रतिक्रिया होनी मुश्किल है। उनकी इस खबर-मुबारक से जो ध्वनि निकलती है अगर उसका पोस्टमार्टम किया जाए तो यह दो ही सूरतों में मुबारक साबित हो सकती है। एक तो यह कि पाकिस्तान भारत के हिस्से वाले कश्मीर पर कब्जा कर ले अथवा दूसरा यह कि भारत बतौर तोहफा कश्मीर को पाकिस्तान की झोली में डाल दे। पहली बात तो तब व़जूद में आ सकती है जब पाकिस्तान के पास भारत से कश्मीर छीन लेने की कूवत हो। कुछ दिनों पहले उसने कश्मीर के एक छोटे-से हिस्से करगिल को हड़पने की कोशिश की थी। और तब भारत ने उसे जिस तरह पीटा था उसके घाव अभी भी मुकम्मल तौर पर नहीं भरे होंगे। अलावा इसके उसने अपनी ओर से भारत की ताकत को कई-कई बार आ़जमाया है और हर बार भारत ने उसे गहरी शिकस्त दी है। अतः जरदारी साहब की मंशा इस तरह की सोच के साथ पाकिस्तान को खुदकुशी की ओर ढकेलने की तो कत्तई नहीं होगी।
रह गई बात कि भारत बतौर-तोहफा कश्मीर को तश्तरी में सजाकर उनके हुजूर में पेश करेगा, इस तरह की खाम़खयाली जरदारी के मन में अगर पैदा होती है तो उनके विरोधियों का उन पर लगाया गया यह आरोप सही सिद्घ हो जाएगा कि उनका मानसिक संतुलन ठीक नहीं है और वे कई-कई मनोरोगों की गिरफ्त में हैं। हैरत की बात तो यह है कि अपना आरोप सिद्घ करने के लिए इन विरोधियों ने जरदारी की बाबत कई मेडिकल रिपोर्टें भी हासिल कर रखी हैं। अतएव अगर वे यह सोच लें कि कश्मीर पके आम की तरह अपने-आप उनकी झोली में आ टपकेगा और वे यह तोहफ़ा पाकिस्तानी अवाम को अपनी ताजपोशी के जश्र्न्न की खुशी में भेंट कर देंगे, तो इसे बेहिचक उसी मानसिक असंतुलन का परिणाम माना जाएगा। एक बात यह भी ़गौर करने के काबिल है कि जरदारी ने इस खबर को मुबारक बनाने का वायदा पाकिस्तान के अवाम से किया है, कश्मीरियों से नहीं। इसलिए यह मानने में भी किसी को कोई गुरे़ज नहीं हो सकता कि ब़कौल राष्टपति जरदारी, उनकी यह खबर “मुबारक’ बनती भी है तो उसे हासिल पाकिस्तान के लोग करेंगे, कश्मीर के लोगों के हिस्से इस खुशी का कोई छोटा से छोटा टुकड़ा भी नहीं आएगा।
वैसे जरदारी ने कश्मीर की बाबत “अच्छी खबर’ का जुमला उछाल कर काफी सस्पेंस पैदा कर दिया है। इस खबर का स्वागत भारत में भी बहुत फरा़गदिली के साथ हो सकता है अगर यह अच्छी खबर सिर्फ पाकिस्तान के लिए न हो बल्कि कश्मीर सहित भारत के लिए भी यह समान रूप से स्वीकृति योग्य हो। यह जरूर है कि भारत और पाकिस्तान अपनी पुरानी सारी कटुताओं को भुलाकर ऩजदीक आने की कोशिश कर रहे हैं। इस बीच दोनों देशों के बीच कई स्तरों पर वार्तायें भी लगातार जारी हैं। इसके अलावा भारत की ओर से दोनों देशों के बीच संबंध सामान्य और मैत्रीपूर्ण बनाने की कोशिशें भी हो रही हैं। अगर प्रयास ईमानदार हो तो कश्मीर की समस्या का समाधान अवश्य खोजा जा सकता है। लेकिन यह तब तक संभव नहीं है जब तक पाकिस्तान के हुक्मरान और उसकी सेना कश्मीर में अलगाववादियों की हिमायत करती रहेगी। भारत और पाकिस्तान के बीच दूरी बढ़ाने वाला अगर कोई मसला है तो वह पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद है। आतंकवाद की खेती खुद पाकिस्तान की जमीन को लहूलुहान कर रही है लेकिन उसकी सेना और आईएसआई भारत के खिलाफ इसे एक कारगर हथियार के तौर पर हमेशा से इस्तेमाल करती रही है। जरदारी को यह भी समझना होगा कि ह़कीकत में कश्मीर कोई समस्या नहीं है। वह भारत का है और भारत का ही रहेगा। इसे समस्या बनाने की सियासत पर अमल करना अगर पाकिस्तान छोड़ दे तो यह उसके ह़क में सचमुच मुबारक होगा, कश्मीर और भारत के भी ह़क में मुबारक होगा।
You must be logged in to post a comment Login