कलाकारः संजय दत्त, इमरान खान, मिनिषा लांबा, विद्या मालवडे, राहुल देव, रीमा लागू
संगीतः प्रीतम
निर्देशकः संजय गढ़वी
हाल ही में निर्देशक कुणाल शिवदासानी की “हाइजैक’ फिल्म प्रदर्शित हुई, जिसके शीर्षक ने ही फिल्म की कहानी का परिचय दे दिया। अब संजय गढ़वी की किडनैप प्रदर्शित हुई है, जो शीर्षक से ही अपनी कहानी समझा जाती है। इतना ही नहीं, फिल्म के आरंभ में ही मिनिषा लांबा के अपहरण की घटना से ही दर्शकों को बड़ी सरलता से फिल्म की कहानी का अंदाज हो जाता है। हॉं, सिर्फ एक बात में दिलचस्पी होती है कि आखिर किडनैप क्यों किया गया? इस प्रश्न का उत्तर मिलता है किडनैप के चरम-दृश्य में।
विद्या मालवडे पति संजय दत्त से तलाक के बाद बेटी मिनिषा लांबा के साथ रहने लगती है। मिनिषा लांबा अपनी अठारहवीं सालगिरह के अवसर पर पिता संजय दत्त से मिलना चाहती है। इस बात को लेकर मॉं-बेटी में बहस होती है और गुस्से में मिनिषा घर छोड़कर निकल पड़ती है। कुछ ही समय बाद मॉं को इमरान खान का फोन आता है। उसे बताया जाता है कि उसने मिनिषा का किडनैप कर लिया है और आगे वह केवल उसके पिता संजय दत्त से ही बात करेगा। कोई रास्ता न देखकर विद्या मालवडे पति संजय दत्त से संपर्क करती है। अपनी बेटी की जान बचाने के लिये संजय दत्त इमरान खान से बात करने के लिये तैयार हो जाता है। इमरान ने यह अपहरण पैसों के लालच में नहीं किया था। वह संजय दत्त को कुछ खेल खेलने के लिए कहता है। निश्र्चित समय में खेले गये खेल के बाद अपहृता को कुछ संकेत दिये जाते हैं। खेद इस बात का है कि यह सारे खेल बेजान निकलते हैं। जैसे रेलगाड़ी में संजय दत्त को बुलाना और सगाई में उसका आना।
संजय और पत्नी विद्या का जेल हो आना भी तर्कहीन लगता है। जब एक बार संजय इमरान की बात नहीं मानता तो वह सीधे उसके घर में पहुँच जाता है और दर्शक भी घर जाने की सोचने लगते हैंै। चरम-दृश्य की पार्टी भी बहुत अखरती है। फिल्म में इमरान के कारण दिलचस्पी बनी रहती है। संजय दत्त निराश करता है, दिखने में भी और अभिनय में भी। किडनैप की गई मिनिषा का देह-प्रदर्शन शायद दर्शकों को रास आ जाये, पर कहानी में कुछ मायने नहीं रखता। प्रीतम का एक ही गीत “मिट जाये’ पसंद आ सकता है और विद्या मालवडेे का अभिनय भी।
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