पिछले कुछ सालों में दफ्तरों के डिजाइन ही नहीं, उनकी कार्य-संस्कृति में भी आमूलचूल परिवर्तन हुआ है और यह परिवर्तन तमाम क्षेत्रों के साथ-साथ मानव संसाधन के क्षेत्र में भी दिखता है। नतीजतन, बड़े पैमाने पर कर्मचारी लगातार एक संस्थान को छोड़कर दूसरे संस्थान से जुड़ते दिखाई पड़ रहे हैं। भले ही इसके लिए कोई इतना बड़ा कारण मौजूद न हो, जिसे नौकरी छोड़ने और फिर नई नौकरी शुरू करने के लिए जरूरी माना जाए। प्रतिभा युद्घ के अलावा बड़ी छोटी-छोटी वजहें भी इस एक नौकरी छोड़कर दूसरी नौकरी शुरू करने के लिए वजह बन रही हैं। मसलन, कामकाज के लिए अनुकूल माहौल का न होना, छुट्टियों की तंगी तथा इसी तरह के कई और छोटे-छोटे कारण। इन सब वजहों से नौकरी एक खास तरह के मूल्यों की मांग करने लगी है। विशेषज्ञ कहते हैं, “”जल्दी-जल्दी नौकरी छोड़ना आपके दूरगामी कॅरियर के नजरिए से अच्छा फैसला नहीं है।”
हाल के एक सर्वे के निष्कर्ष इस मायने में चिंताजनक हैं, क्योंकि इन निष्कर्षों के मुताबिक 93 फीसदी लोग एक संस्थान में ज्यादा से ज्यादा 18 महीने ही नौकरी करते हैं। मगर देखा गया है कि जल्दी नौकरी छोड़ने से नई नौकरी पकड़ते समय कुछ मामूली वित्तीय फायदे भले हो जाएँ, लेकिन लंबे समय के नजरिए से जल्दी-जल्दी नौकरी छोड़ना फायदेमंद सौदा नहीं है। इससे दूरगामी नतीजे सही नहीं होते। इसलिए अगर कहीं पर भी नौकरी करें तो कोशिश यह होनी चाहिए कि कम से कम कुछ दिन वहां रुकें, जिससे आपका नियोक्ता जब आप नौकरी छोड़ने की कोशिश करें और इस संबंध में उसे बताएं तो वह आपको रोकने के लिए प्रयास करे। याद रखें, किसी जगह स्थायी रूप से रुकने के कई फायदे होते हैं। पहला बड़ा फायदा तो यह होता है कि आप काम में मास्टर हो जाते हैं और धीरे-धीरे आप पर दूसरों की निर्भरता हो जाती है।
अगर नौकरी छोड़ना आपके कॅरियर और भविष्य के लिए जरूरी हो तो इस संबंध में कोई बात छिपाने की बजाय अपने नियोक्ता से खुलकर बात करें, उसे बताएं कि आप नौकरी क्यों छोड़ना चाहते हैं और यह आपके लिए क्यों जरूरी है? अगर चीजें स्पष्ट रखेंगे तो इसके कई फायदे होंगे, सबसे पहला तो यही कि आप अपने निर्णय को जस्टीफाई कर पाएंगे। आपके नियोक्ता के मन में यह बात नहीं आयेगी कि आप जानबूझकर नौकरी छोड़कर परेशान कर रहे हैं। हर उस व्यक्ति को जो एक लगी-लगाई नौकरी छोड़कर दूसरी पकड़ने जा रहा हो, इस बात से भी सचेत रहना चाहिए कि दूसरी तरफ हमेशा ज्यादा हरी घास दिखाई देती है।
ऐसा नहीं है कि नौकरी बदलने के हमेशा नुकसान ही होते हैं। कई बार देखा गया है कि हम उपयुक्त नौकरी में नहीं होते इसलिए जब कोई उपयुक्त नौकरी मिल रही हो तो उसे छोड़कर नई नौकरी के साथ जुड़ना कोई गलत फैसला नहीं है। मगर यह भी सही है कि कई बार हम होने वाले फायदों का कुछ ज्यादा ही अनुमान लगा लेते हैं जबकि होता उसका उल्टा है। सबसे बड़ी बात तो यह होती है कि एक नौकरी छोड़कर जब हम दूसरी जगह नौकरी शुरू करते हैं तो अचानक से एक बिल्कुल अपरिचित माहौल में हमें काम के लिए तालमेल बिठाना पड़ता है। जब हम अपरिचित लोगों के बीच पहुंच जाते हैं तो फिर हम चाहे अपने काम में कितने भी माहिर क्यों न हों, हमारा परफॉर्मेंस उतना अच्छा नहीं रहता जितने अच्छे परफॉरर्मेंस की हमसे उम्मीद की जाती है। क्योंकि नया माहौल, अपरिचित जगह आदि से तालमेल बिठाने में कुछ दिन का वक्त लगता है और इस दौरान हमारा परफॉरर्मेंस कमतर पड़ जाता है।
ऐसे में जब एक अच्छी-खासी, लगी-लगाई नौकरी को छोड़कर कोई दूसरी नौकरी ज्वॉइन करना चाह रहे हों, तो इस संबंध में अपने बॉस को जरूर पहले से सूचित कर दें। इसका फायदा यह होता है कि अगर आप काम के आदमी हैं तो कंपनी आपको खोना नहीं चाहेगी और रुकने के लिए कुछ प्रोत्साहन लाभ देने की कोशिश करेगी। जब कंपनी को पता चलेगा कि आप इन कुछ फायदों के लिए नौकरी छोड़ रहे हैं तो बहुत संभव है कि वह उन फायदों को या उनके आसपास के फायदों को आपको प्रदान करने के बारे में मन बनाए। आपका मैनेजर या मैनेजर एचआर, बहुत संभव है कि आपको उन सुविधाओं की वैकल्पिक व्यवस्था मुहैया कराए, जिन सुविधाओं के लिए आप नौकरी छोड़ रहे हैं। कोई भी संगठन अपने काम के आदमी को अपने पास बनाकर रखने की कोशिश करेगा, क्योंकि सिर्फ काम ही प्रतिभा का नतीजा नहीं होता, काम एक निरंतर की प्रैक्टिस का भी नतीजा होता है।
भले आपका व्यक्तिगत इतिहास कुछ भी हो, लेकिन जल्दी-जल्दी नौकरी बदलने वालों का इतिहास कमोबेश सफलता का कम असफलता का ज्यादा है। यह देखा गया है कि आमतौर पर काउंटर ऑफर आंख मूंदकर स्वीकार करने वाले गच्चा खा जाते हैं। देखा गया है कि ऐसे टैक रिकॉर्ड वाले एग्जीक्यूटिव को ज्यादा तरजीह नहीं दी जाती, जो 2 साल के अंदर 3 जगह नौकरी बदल चुका हो। उसके साथ कोई स्थायी सामंजस्य बिठाने के पहले कंपनी का प्रबंधन कई बार सोचता है, क्योंकि ऐसे लोगों के बारे में यह सोचना काफी तकलीफ भरी प्रिाया होती है कि आखिर यह कितने दिन तक साथ रुकेंगे। ऐसे कर्मचारियों पर लगातार नजर रखी जाती है, जिनका इतिहास जल्दी-जल्दी नौकरी छोड़ने वाला रहा हो और कोई भी बड़ी कंपनी इन्हें ऐसा जिम्मेदारी भरा काम सौंपने से कतराती है जिस काम के साथ कंपनी के कुछ सीोट भी जुड़े हों।
ऐसा नहीं है कि सिर्फ अपने फायदे के लिए ही लोग नौकरी छोड़ते हैं, जल्दी-जल्दी नौकरी बदलना कई कर्मचारियों की आदत का हिस्सा भी होता है। मानव प्रबंधन इसे डेटिंग सिंडोम का नाम देते हैं। उनके मुताबिक जल्दी-जल्दी नौकरी बदल कर ये लोग एक खास तरह की संस्कृति स्थापित करते हैं। इनमें सबसे ज्यादा तादाद युवाओं की होती है। युवा अक्सर नौकरी बदलते मौसम की तरह छोड़ते रहते हैं। कई बार तो इसका फायदा विभिन्न तरह के माहौल में परिपक्व हो जाने और कई तरह के कामों को जान जाने में होता है तो कई बार इसका नतीजा यह होता है कि आप किसी भी काम को बेहतर ढंग से जान नहीं पाते। आमतौर पर जल्दी-जल्दी नौकरी छोड़ने के मामले में लड़के काफी आगे हैं और लड़कियां उनके मुकाबले कहीं ज्यादा स्थाई स्वभाव वाली होती हैं। कुछ लोगों को लगता है कि सिर्फ तेजी से नौकरी बदलकर ही उन्नति की जा सकती है। हकीकत इसके उलट है। हकीकत में एक जगह मजबूती से रूक कर अपनी विश्र्वसनीयता बरकरार रखते हुए कहीं ज्यादा उन्नति की जा सकती है। कई बार ऐसा होता है कि दूर के ढोल सुहावने लगते हैं। नई जगह वेतन और लाभ के कई आकर्षक प्रस्ताव दिए जाते हैं, मगर हकीकत में वह वैसे नहीं होते। एक बात को और याद रखें, सिर्फ जल्दी-जल्दी नौकरी बदलने से ही आप तरक्की नहीं कर सकते, तरक्की का मूलमंत्र है आपके अंदर की प्रतिभा और संस्थान के साथ प्रतिबद्घता। अगर आप में ये दोनों चीजें नहीं हैं तो फिर आप चाहे कितनी ही तेजी से नौकरी बदलें, न तो आपको इसका कोई खास फायदा मिलेगा और न ही आपकी आय व ओहदा बढ़ेगा। उल्टे ब्लैक लिस्टेड हो जाएंगे। इसलिए जॉब होपिंग के पहले कई बार सोच लें।
– कीर्ति शेखर
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