जरा सोचिये, कल्पना कीजिए, अनंत शून्य में- जहॉं न तो गुरुत्वाकर्षण है और ना ही हवा का दबाव और ना ही पृथ्वी सरीखा वातावरण और अन्य वस्तुएँ। ऐसे में हवा में तैरते, अपने भार से भी मुक्त अर्थात भारहीन अवस्था में अपने साथी के साथ क्रीतिया करने पर कैसा अनुभव होगा?
ऐसी बातें सुनने में चाहे कपोलकल्पित रोमांचक कथाओं-सी लगें, लेकिन हकीकत यह है कि वैज्ञानिक इस बारे में काफ़ी सकारात्मक सोच रखते हैं। आज तो मानव स्पेस में पहुँच गया है और माना जा रहा है कि स्पेस टूरिज्म के लिए जाने वाले यात्रियों में अधिकांश प्रेमी जोड़े होंगे, जो ब्रह्माकाश में भारहीन अवस्था (जीरो-ग्रेविटी) में सहवास का बेजोड़ लुत्फ़ उठना चाहेंगे। अंतरिक्ष से अपनी धुरी पर घूमती पृथ्वी का ऩजारा, उन प्रेमियों की कामोत्तेजना का जबरदस्त कारण बन सकता है।
इस बारे में कुछ लोगों का मानना है कि अनंत आकाश में यौनक्रिया का अनुभव बहुत अच्छा नहीं रहेगा, बल्कि इतना दुरुह तथा हताशा एवं निराशा भरा होगा कि लोग इस विचार से तौबा कर लेंगे। नासा स्पेस फीजिशियन जेम्स लोगान के अनुसार, शून्य अथवा अत्यंत अल्प मात्रा (माइक्रो) में गुरुत्वाकर्षण की स्थिति में सेक्स की कल्पना हकीकत की बनिस्पत अधिक बढ़िया है, क्यूंकि इस स्थिति में सब-कुछ गडमड-सा रहता है। कुछ भी करने पर या हल्का-सा भी आघात होने पर आप एवं संबंधित वस्तु या व्यक्ति एक-दूसरे से विपरीत दिशा में चले जायेंगे। अब भला ऐसी स्थिति में यौनक्रिया कैसे संभव हो सकती है! अतः प्रमियों को प्रयासपूर्वक परस्पर निर्देश देते हुए अंतरंगता स्थापित करने हेतु कारगर रास्ता तलाशना होगा। इसके अतिरिक्त, पृथ्वी से इतर अंतरिक्ष में रहने से उत्पन्न खिन्नता, ऊब एवं विकलता तथा पसीना और अन्य शारीरिक तरल पदार्थ भी सहवास में बाधक बन सकते हैं, क्यूंकि गुरुत्वाकर्षण के साथ-साथ पर्यावरण भी वहॉं नहीं होता। लेकिन वुडमेंसी के विचारानुसार सृजनात्मकता और कल्पनाओं के जरिये प्रेमी अपनी सुविधानुसार मिलन के तरीके निकाल ही लेंगे।
अंतरिक्ष में छुट्टियॉं मनाने या वहॉं लंबा समय व्यतीत करने के इच्छुक यात्रियों को सावधानी बरतनी होगी कि शारीरिक संबंध स्थापित करने के पश्चात गर्भधारण ना हो जाये। यह मॉं और बच्चे दोनों के लिए खतरनाक हो सकता है। इस बाबत जानवरों पर किये गये प्रयोगों से पता चला है कि अंतरिक्ष में गर्भस्थ भ्रूण का विकास प्रभावित होता है। पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के अभाव में हड्डियों, मांसपेशियों तथा तंत्रिकाओं का विकास सामान्य रूप से नहीं हो पाता। यहॉं तक कि मानवीय हार्मोंस और शुक्राणु गतिशीलता पर भी गुरुत्वाकर्षण की कमी का प्रभाव पड़ता है। तंत्रिकाओं संबंधी रचनात्मक विकास तो जन्म के पश्चात भी जारी रहता है और इसमें भी गुरुत्वाकर्षण की अहम् भूमिका रहती है। इतना ही नहीं, विकिरण की समस्या भी गंभीर है। यहॉं तक कि पृथ्वी के परिक्रमा कक्ष के चुंबकीय क्षेत्र में भी यह समस्या रहती है।
कुछ ऐसी भी बातें हैं जिनके बारे में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है, मसलन- अंतरिक्ष में सेक्स के पश्चात अगर गर्भाधान होगा तो किस प्रकार होगा? ऐसा होना संभव भी है या नहीं? निषेचित भ्रूण गर्भाशय की झिल्लीनुमा दीवार से चिपकेगा भी या नहीं। लोगान कहती हैं कि अंतरिक्ष में यौनक्रिया एवं गर्भाधान तथा बच्चों के जन्म को संभव बना भी लिया गया, तो हमारी आगामी नस्लें किसी दूसरे ग्रह के वासी (स्पेस एलियंस) की तरह, पृथ्वीवासियों से नितांत भिन्न हो सकती हैं। गर्भनिरोधक गोलियॉं भी अंतरिक्ष में प्रभावी होंगी या नहीं- पता नहीं, क्योंकि बहुत-सी दवाएँ, जो पृथ्वी पर कारगर सिद्घ होती हैं, अंतरिक्ष में बेकार साबित होती हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार, शून्य गुरुत्वाकर्षण के चलते कुछेक दवाएँ शरीर में आत्मसात नहीं होतीं। अतः रोमानियत से परे, इस क्षेत्र में और अध्ययन और शोध करने की आवश्यकता है- कहना है लॉरा वुडमेंसी का।
इस सबके बावजूद आगामी दशक में स्पेस टूरिज्म की संभावना बढ़ती जा रही है। इसके लिए विशेष रूप से स्पेस स्टेशन तैयार किये जा रहे हैं, जिनमें स्पेस सूट पहने बगैर भी व्यक्ति रह सकता है। लोगान के अऩुसार- इन स्पेस स्टेशनों में अगर कृत्रिम रूप से गुरुत्वाकर्षण का बंदोबस्त किया भी जायेगा, तो सवाल उठता है कि कितनी मात्रा में गुरुत्वाकर्षण होना चाहिये। चंद्रमा के मुकाबले एक-तिहाई या मंगल के मुकाबले एक बटा छह। आज गुरुत्वाकर्षण की जानकारी उस दवा की तरह है, जिसकी खुराक, कितनी बार तथा दुष्प्रभावों के बारे में कोई जानकारी न हो। अतः इस बारे में पर्याप्त शोध की दरकार है। पर अगर एक बार इन बाधाओं को पार कर लिया गया, तो यह न केवल प्रेमियों के लिए ही यह खुशी का कारण होगा बल्कि यह विकास का भी अगला चरण साबित होगा।
होने को तो कुछ भी हो सकता है, किंतु शोध अपनी जगह है और रोमांस अपनी जगह। अंतरिक्ष में जाने वाले पहले प्रेमी जोड़े के लिए रोमांच और रोमांस दोनों ही अभूतपूर्व होंगे, क्यूंकि सेक्स हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा है। अतः इस बारे में शरमाने या नजरें चुराने से काम नहीं चल सकता। शायद, इसीलिए अंतरिक्ष में भी इसके विस्तार की संभावनाएँ विकसित की जा रही हैं। आखिर, अंतरिक्ष यात्री भी मानव हैं और सोचने की बात है कि वे अपने मिशन के दौरान सालों साल बिना सेक्स के कैसे रह सकते हैं!
प्रस्तुति- डॉ. नरेश बंसल
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