कैसे कटे बाली उमरिया कैसे कटे बाली।
ना टूटे ठट के संग, उमर मेरी कैसे कटे बाली।
ना टूटे दूध के दन्त, उमर मेरी कैसे कटे बाली॥
एक समय सपने में सोती निकल पडे मेरे नथ के मोती
तडक तडक मेरी चूडियाँ चडक गई, क्या गती होती॥
मेरा ससुर जन्म का बेरी, सुतो सर्प जगायो गहरी
रामचन्द्र का चले दूधारा, कैसे जाय खाली ॥ 2 ॥
मेरे पति को लक्ष्मण ने मारा, मैंने राम का क्या बिगाडा
हाए राम तो हे दया ना आई, सेज रही खाली ॥ 3 ॥
आला लीला बाँस मँगाया, सती होवन चाली।
रामा दल के बिच सुलोचन, हो गई विकराली ॥ 4 ॥
आम पके निम्बू गदराये, अनार जब सुर्खी रंग लावे।
मेरा बाग जब ऋतु पर आया, रूठ गया माली ॥ 5 ॥
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