कॉफी की लत

coffee-addictमहानगरों के तकरीबन हर कोने में कॉफी हाउस मिल जायेंगे। इससे इसकी बिक्री व लोकप्रियता का अंदाजा हो जाता है। कॉफी पॉट दफ्तरों का भी अटूट हिस्सा बन गया है। …और क्यों न बने? हर सुबह कार्यस्थल पर कर्मचारियों को अतिरिक्त ऊर्जा चाहिए होती है, जो एक या दो कप कॉफी से मिल जाती है। देर रात तक काम करना हो तो भी कॉफी का सहारा लिया जाता है। लेकिन यह सब करते समय हम भूल जाते हैं कि कॉफी में शामिल कैफीन हमारे दिमाग और हमारे शरीर में क्या गुल खिला रही है।

कैफीन क्या है?

अपने शुद्घ रूप में, कैफीन तीखे स्वाद वाला सफेद पाउडर है। यह पानी में घुल जाता है, इसलिए यह आसानी से रक्त में ज़ज्ब हो जाता है और तेजी से दिमाग तक पहुँच जाता है।

आमतौर से, कैफीन की एक खुराक खाने के दस मिनट बाद वह खून में पहुँच जाती है। वह अपना उच्चतम चरम 30 से 60 मिनट बाद दिखाती है। लेकिन पेट भरा होने पर कैफीन लेने से यह धीरे-धीरे हजम होती है।

साइकोएक्टिव डग?

इंस्टेंट कॉफी के एक या दो कप में मौजूद कैफीन नाटकीय अंदाज में दिमाग की गतिविधि का पैटर्न बदल देती है। कोई भी व्यक्ति इंस्टेंट कॉफी पीते ही सामान्य आराम की स्थिति से फौरन सतर्क स्थिति में आ जाता है।

कैफीन एडरिनल ग्लैंड्स को भी स्टिम्युलेट कर देती है, जिससे तनाव हार्मोनों का स्तर बढ़ जाता है। आमतौर से यह हार्मोन उस समय जारी होते हैं जब हम उत्सुक, डरे हुए, गुस्से में या घबराये हुए होते हैं। इसलिए, कैफीन न सिर्फ शरीर के तनाव स्तर को बढ़ा देती है बल्कि शरीर के तनाव दूर करने वाले रसायन के एक्शन पर भी विराम लगा देती है।

प्रभाव की अवधि

गुर्दे और पेशाब के रास्ते बाहर निकलने में एक कप कॉफी को 24 घंटे का वक्त लगता है। जो लोग दिन में कई कप कॉफी पीते हैं, उनके खून में बहुत सारी कॉफी होती है जिससे उन्हें अच्छी नींद नहीं आ पाती। कैफीन को बाहर निकालने के लिए शरीर को ऊर्जा का इस्तेमाल करना पड़ता है लेकिन कम सोने से शरीर में ऊर्जा कम होती है और एक भयंकर चा उत्पन्न हो जाता है। खून में जब तक कैफीन मौजूद रहेगी, वह आपके कामकाज को प्रभावित करती रहेगी। जिगर के एंजाइम भी इस डग को तोड़कर जिस्म से बाहर निकालते हैं।

कुछ लोग अधिक मात्रा में कॉफी पी लेते हैं और उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता, जबकि कुछ लोग परेशान, चिंतित हो जाते हैं और कॉफी को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं कर पाते। सिगरेट पीने वाले इसके प्रभाव को बहुत कम समय तक महसूस करते हैं जबकि गोली लेने वाली महिलाएँ इस पर तीखी प्रतििाया व्यक्त करती हैं।

लत

कैफीन की यकीनन लत पड़ जाती है। बहुत-से लोग इस पर निर्भर करने लगते हैं और कॉफी न मिलने पर उन्हें सिरदर्द, आलसपन, बेहोशी-सी छाना, थकन, एकाग्रता में कमी, बेचैनी और गुस्से की शिकायत होने लगती है।

जैसे ही कैफीन का शुरूआती असर उतरना शुरू होता है, व्यक्ति दूसरे कप की चाहत करता है ताकि उसी किस्म का अनुभव फिर से हासिल किया जा सके। जो लोग दिन में चार कप से अधिक कॉफी लेते हैं वह उस पर निर्भर करने लगते हैं। यानी व्यक्ति को कॉफी की लत पड़ गयी है।

कॉफी की लत से बचने के लिए उसकी जगह यह लें-

  • ग्रीन टी
  • हर्बल या लैमन-हनी टी
  • बहुत सारा पानी।

– करमचंद

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