क्या यही एकता का भव्य महाभारत

पिछले दिनों 20 साल बाद फिर से “रामायण’ का प्रसारण शुरू हुआ तो लगा कि सागर आट्र्स ने समय के साथ अपने इस धारावाहिक को काफी इम्प्रूव किया है। नया एनडीटीवी इमैजिन चैनल इस धारावाहिक के कारण चल निकला। इसीलिए जब एक और नए चैनल नाइन एक्स पर “महाभारत’ के प्रसारण की बात चली तो लगा कि यह “महाभारत’ भी पुराने “महाभारत’ से बेहतर होगा। आखिर इन पिछले सालों में तकनीक ने ही नहीं टीवी मीडिया ने भी जबरदस्त तरक्की की है। लेकिन एकता कपूर के इस “महाभारत’ धारावाहिक को देख कर लगता है कि नाइन एक्स चैनल ने अपना यह मेगा प्रोजेक्ट एकता कपूर को सौंप कर बहुत बड़ी गलती की। यदि यह “महाभारत’ आगे भी इसी अंदाज में चला तो “हम तो डूबेंगें, तुम्हारे चैनल को भी ले डूबेंगे वाली कहावत चरितार्थ हो जाएगी।

सूत्र बताते हैं कि चैनल ने इस धारावाहिक पर पानी की तरह पैसा खर्च किया। नाइन एक्स चैनल की सी ई ओ इन्द्राणी मुखर्जी ने एकता को पैसा देने में कहीं भी कंजूसी नहीं की, मगर लगता है एकता ने इस धारावाहिक की महानता को समझा ही नहीं। महाभारत को हिन्दू धर्म-संस्कृति में हमारे चारों वेदों के समान ही समझा जाता है, लेकिन एकता इसे भी एक सास-बहू मसाला धारावाहिक जैसा ही बना रही है।

धारावाहिक देख कर सबसे ज्यादा दुःख तो गणेश जी की स्थिति को देख कर होता है। आजकल गली-मोहल्ले की रामलीला या शिव-गणेश नाटिका में ऐसे गणेश जी नहीं दिखते जैसे एकता ने दिखाए हैं। विशाल तकनीक के इस युग में एक बड़े चैनल के महाधारावाहिक में गणेश जी के कानों से मोटे कागज से बंधी सूंड देखकर बच्चे भी हंसते हैं। उनके कान भी रंगीन कागज से बना कर चिपका से दिए हैं। इससे कहीं बेहतर तो पिछले दिनों बनी बाल फिल्मों के गणेश जी थे। फिर गणेश जी के सामने वेद व्यास जी का कूदना-फांदना और गणेश जी की ओर पीठ करके खड़े होना दिखाना तो बेहद शर्मनाक है। एकता तो गणेश जी की पूजा करने सिद्घिविनायक मंदिर तक जाती है, लेकिन लगता है वह उनकी महिमा उनके स्वरूप के बारे में कुछ नहीं जानती। “महाभारत’ में गणेश जी और वेदव्यास जी का ऐसा रूप दिखाकर उनका म़जाक ही उड़ाया गया है।

हस्तिनापुर के राजा के रूप में अभिनेता किरण करमाकर कहीं से भी राजा नहीं दिखते। उनकी वेशभूषा ऐसी है जैसे वे हस्तिनापुर के नरेश नहीं सैनिक हों। इस “महाभारत’ की द्रौपदी के तो कहने ही क्या हैं? क्या द्रौपदी ऐसी रही होगी जिसके चेहरे पर न रूप सौन्दर्य झलकता है और न महारानी का तेज। ऊपर से उसका अभिनय तो तौबा- तौबा। द्रौपदी का किरदार कर रही अभिनेत्री अऩिता हसानंदानी तो चीखने को ही मानो अभिनय मानती है। चीखना भी ऐसा कि आधे संवाद तो समझ ही नहीं आते। एकता कपूर ने अनिता से अपनी दोस्ती निभाते हुए उसे द्रौपदी जैसा वह सशक्त रोल दे दिया, जिसके इर्द गिर्द ही “महाभारत’ की कथा घूमती है, लेकिन इतने बड़े धारावाहिक का कबाड़ा कर दिया। अपने पहले एपिसोड में ही अनिता के रूप में द्रोपदी जमकर निराश करती है, जबकी 20 बरस बाद भी बी. आर. चोपड़ा के “महाभारत’ में द्रोपदी बनने वाली रूपा गांगुली का चेहरा याद आते ही मन खिल उठता है। “महाभारत’ का केन्द्र बिन्दु श्री कृष्ण और द्रोपदी ही हैं। श्री कृष्ण तो आपने दिखाए ही नहीं और द्रोपदी दिखाई तो ऐसी। यहॉं यह भी सवाल उठता है कि द्रोपदी चीर हरण तो “महाभारत’ का चरम बिन्दु है। आखिर उस एपिसोड को “महाभारत’ के शुरू में दिखाने की क्या जल्दी थी? यह एपिसोड शुरू में दिखा कर एकता ने “आ बैल मुझे मार’ वाली बात की है।

इस “महाभारत’ धारावाहिक का शीर्षक गीत कहीं से अपना जरा भी प्रभाव नहीं छोड़ता। टाइटल सांग किसी भी धारावाहिक की जान होती है। सही मायने में टाइटल सांग ऐसे होते हैं जैसे किसी बड़े शोरूम की शो विन्डो होती है या फिल्म-धारावाहिक का टेलर या प्रोमो होता है। पुराने “महाभारत’ का शीर्षक गीत “अथ श्री महाभारत कथा’ आज भी कानों में गूंजता है। इन दिनों एनडीटीवी पर प्रसारित “रामायण’ का टाइटल सांग- “अद्भुत है महिमा दो अक्षर के नाम की’ के बोल और संगीत तो कानों में रस घोलते हैं। सुरेश वाडेकर और कविता कृष्णमूर्ति ने इसे गाया भी इतना अच्छा है कि इसे बार-बार सुनने को मन करता है। पर एकता के “महाभारत’ के टाइटल सांग में न दलेर मेहंदी कोई कमाल दिखा सके और न ही ललित सेन कोई अच्छी धुन बना सके। इस गीत का दिलों में उतरना तो दूर उसके बोल तक समझ नहीं आते। लगता है सब कुछ बहुत जल्दी में किया गया है।

हालांकि, ऐसा नहीं है कि एकता के “महाभारत’ में कुछ भी अच्छा नहीं है। इस “महाभारत’ के सैट तो देखते ही बनते हैं। सैट, लोकेशंस देख कर लगता है कि यह एक जगह है जहॉं कुछ पैसा खर्च किया गया है। पात्रों के धनुष और गदा भी भव्य हैं। गंगा के पात्र में साक्षी तंवर और दुस्शासन के रोल में एजाज खान का चुनाव अच्छा है, मगर काली प्रसाद शकुनी के रोल में फिलहाल तो ओवर एक्ंिटग का शिकार लगते हैं। इस “महाभारत’ का जब प्रोमो टीवी पर शुरू हुआ था तो वह इतना अच्छा था कि लगा था कि महाभारत धारावाहिक तो न जाने कितना अच्छा होगा? लेकिन ये सारी अच्छाइयां प्रोमो तक सिमट कर रह गईं।

नम्बर दो स्थान पर पहुँच चुके मनोरंजक चैनल नाइन एक्स ने एकता को “महाभारत’ के रूप में एक अच्छा अवसर दिया था, जो उसकी खोई प्रतिष्ठा तो वापिस दिला ही देता साथ ही इस धारावाहिक से वह अपने आपको कहीं और ऊपर उठा सकती थी। लेकिन “महाभारत’ के शुरुआती एपिसोड देख कर लगता है कि ज्यादा से ज्यादा पैसा कमाने के मोह और अपनी लापरवाही से उसने यह मौका खो दिया है।

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