जब सभी क्षेत्रों में पुरानी मान्यताएं लगातार ध्वस्त हो रही हों, उस जमाने में भी एक क्षेत्र ऐसा है, जहां पुरानी मान्यताएं कतई पुरानी नहीं पड़ी हैं। यह क्षेत्र है, क्लासिक डांस या शास्त्रीय नृत्य का।
शास्त्रीय नृत्य आज भी उतना ही शुद्घ और उतना ही प्राचीन है, जितना एक या दो सदी पहले हुआ करता था। शास्त्रीय संगीत की तरह शास्त्रीय नृत्य भी अध्यात्म से जुड़ा है। आत्मा को परमात्मा से जोड़ने का यह एक माध्यम समझा जाता है। लेकिन शास्त्रीय नृत्य सिर्फ आत्मा या आंखों को ही सुख नहीं देता अपितु आज की तारीख में यह एक शानदार कॅरियर क्षेत्र बनकर भी उभरा है यानी आध्यामिकता की यह सीढ़ी सफलता के शिखर की सीढ़ी बन गई है।
देश में तेजी से बढ़ती साक्षरता दर, आय और बेहतर होता जीवनस्तर। इस सबने उन तमाम शास्त्रीय सांस्कृतिक विधाओं को भी जिन्दगी के लिए जरूरी बना दिया है, जो पहले महज कुछ खास लोगों के व्यक्तिगत शौक हुआ करते थे। बड़े ही नहीं छोटे शहरों में भी तेजी से बढ़ते सांस्कृतिक कार्यक्रम, लगातार हाउसफुल रहते प्रेक्षागृह और पब्लिक स्कूलों में महत्त्वपूर्ण होती सांस्कृतिक गतिविधियां इन सबने मिलकर न सिर्फ देश में शास्त्रीय नृत्यों के लिए एक सकारात्मक माहौल बना दिया है बल्कि इसे रोजगार का एक शानदार जरिया भी बना दिया है। क्लासिक नृत्यों से रोजगार की दुनिया के तमाम दरवाजे खुल गये हैं स्कूलों, कॉलेजों में क्लासिक डांस सिखाने वाले शिक्षक के रूप में तो भारी मांग पैदा हुई है। निजी जीवन में शौकिया तौर पर क्लासिक डांस सीखने वालों की भी संख्या में भारी इजाफा हुआ है। यही वजह है कि छोटे व मंझोले शहरों तक में डांस सिखाने वाली अकादमियों की भरमार हो गई है। गर्मियों की छुट्टियों में भी अब हर चौथी लड़की डांस सीखना चाहती है। वास्तव में डांस अब रोजमर्रा के शानदार जीवन जीने की एक जरूरत भी बन चुका है। चाहे शादी-ब्याह हो या घरेलू बर्थडे पार्टियां या फिर किसी खास खुशी को इन्जॉय करने के लिए दी गई पार्टी, हर जगह आजकल नाचने-गाने का चलन बढ़ रहा है। यहां तक कि भजन और जागरण पार्टियों में भी अब खूब जमकर नृत्य होते हैं। अगर कहें कि नृत्य आजकल खुशहाल जिन्दगी का दर्पण बन गया है तो अतिश्योक्ति नहीं होगी।
इसके अलावा भूमंडलीकरण के इस दौर में बहुत तेजी से सांस्कृतिक आदान-प्रदान भी विभिन्न देशों के बीच बढ़ा है। परिणामस्वरूप विदेशों में भी भारतीय सांस्कृतिक कार्यामों को बहुत चाव से देखा जाता है। हाल के दिनों में फिल्मी कलाकारों द्वारा बड़ी संख्या में किए गए विदेशी टूर इसी को दर्शाते हैं। क्लासिक नृत्य और शास्त्रीय संगीत के कार्यामों के आयोजनों की भी विदेश में भरमार हो गई है। इसके साथ-साथ टी.वी. क्रांति के इस दौर में सैकड़ों चैनलों में दर्जनों नृत्य संबंधी कार्यक्रम चलते ही रहते हैं। कहने की जरूरत नहीं है कि वहां भी बड़े पैमाने पर नृत्य में दक्ष लोगों की जरूरत पड़ती है। इस सबके बीच बॉलीवुड को भला कौन भूल सकता है, जहां हर साल सैकड़ों फिल्में बनती हैं। इन फिल्मों में औसतन चार-पांच गाने होते हैं और शायद ही फिल्म का कोई गाना ऐसा हो, जिसमें नृत्य न होता हो। भारत में हर साल लगभग 900 फिल्में बनती हैं। इसमें सभी भाषाओं की फिल्में होती हैं। इन सभी फिल्मों में 6000 तक गीत शामिल होते हैं। सभी गीत नृत्य से भरे होते हैं। इससे अन्दाजा लगाया जा सकता है कि शास्त्रीय नर्तकों की फिल्मों में कितनी ज्यादा जरूरत है।
कुल मिलाकर कहने की बात यह है कि शास्त्रीय नृत्य अब रोजगार का एक शानदार जरिया बन गया है। एक शास्त्रीय नृत्य के शिक्षक को औसतन 7,000 से 25,000 रुपये मासिक आसानी से मिल जाते हैं, जो नामी-गिरामी डांसर अपने कार्यक्रम प्रस्तुत करते हैं, उन्हें तो एक-एक कार्यक्रम में ही 2-3 लाख रुपये मिल जाते हैं। बहुत लोकप्रिय नहीं हैं तो भी एक कार्यक्रम के 15-20 हजार रुपये तो आसानी से मिल ही जाते हैं। शास्त्रीय नर्तकों की कभी सिर्फ सांस्कृतिक कार्यामों और खास मौकों पर ही पूछ होती थी, लेकिन आजकल हर समय इस तरह के कार्यक्रम चलते रहते हैं। इस तरह देखें तो अब यह रिस्की कॅरियर नहीं है।
बड़ी-बड़ी कंपनियों ने आजकल अपनी गतिविधियों में सांस्कृतिक गतिविधियों को भी शामिल कर लिया है। इसके तहत वह साल में कई बार कई तरह के आयोजन करती हैं या इस तरह के आयोजनों को वित्तीय सहायता प्रदान करती हैं। इससे उन्हें टैक्स में भी छूट मिल जाती है। इसके लिए स्वयंसेवी संस्थाएं भी सांस्कृतिक कार्यामों में रुचि लेने लगी हैं। इस कारण भी क्लासिक डांसरों की अब देश-विदेश में खूब मांग बढ़ गयी है। एक ऐसा तबका अब समाज में उभरने लगा है, जो अपने घरों के सांस्कृतिक कार्यामों में क्लासिक डांस का आयोजन करने लगा है। ऐसी तमाम निजी पार्टियों में भी क्लासिक डांस में दक्ष लोगों की खूब मांग होती है।
सवाल है, शास्त्रीय नृत्य सीखने और इस क्षेत्र में कॅरियर बनाने के लिए कहां से संपर्क करें? यूं तो देश के हर शहर और क्षेत्र में तमाम ऐसी संस्थाएं हैं, जो शास्त्रीय नृत्य सिखाती हैं। लेकिन देश के कुछ महत्वपूर्ण और प्रतिष्ठित क्लासिक डांस सिखाने वाले संस्थानों का हम यहां पता दे रहे हैं। ये पूरी दुनिया में मशहूर हैं। यहां से शास्त्रीय नृत्य सीखकर न सिर्फ अखिल भारतीय स्तर पर शोहरत हासिल की जा सकती है बल्कि शानदार कॅरियर भी बनाया जा सकता है-
- श्रीराम भारतीय कला केन्द्र, नई दिल्ली
उपलब्ध नृत्य प्रशिक्षण कार्यक्रम- भरतनाट्यम, कथक और ओडिसी
- लखनऊ कथक केन्द्र, लखनऊ
उपलब्ध नृत्य प्रशिक्षण कार्यक्रम- कथक
- कथकली सदानम केरल
उपलब्ध नृत्य प्रशिक्षण कार्यक्रम- कथकली
- कथक केन्द्र, नई दिल्ली
उपलब्ध नृत्य प्रशिक्षण कार्यक्रम- कथक
- कलाक्षेत्र, चेन्नई
उपलब्ध नृत्य प्रशिक्षण कार्यक्रम- भरतनाट्यम
- कलामंडलम, केरल
उपलब्ध नृत्य प्रशिक्षण कार्यक्रम- मोहिनीअट्टम, कथकली और भरतनाट्यम
- नृत्यग्राम, बैंगलूर
उपलब्ध नृत्य प्रशिक्षण कार्यक्रम- ओडिसी
- राजा एंड राधा रेड्डी स्कूल ऑफ डांस, नई दिल्ली
उपलब्ध नृत्य प्रशिक्षण कार्यक्रम- कुचीपुड़ी
You must be logged in to post a comment Login