खेती करो हरि नाम की हो मनुवा, खेती करो हरि नाम की
हरिनाम की चारों धाम की हो मनुवा, हा मनुवा है मनुवा
खेती करो हरिनाम की॥ टेर ॥
रुपया ना लागे, पैसा ना लागे।
कौडी ना लागे, छदाम् की॥ 1 ॥
इस पार गँगा, उस पार यमुना।
बीच में कूटी, घनश्याम की॥ 2 ॥
वृन्दावन में रास रचायो।
मुरली बंजी तेरे नाम की॥ 3 ॥
इस मुख से जो राम ना सुमिरे।
रोटी ना रपाओ, हराम की॥ 4 ॥
बाई मीरा के प्रभु, गिरधर नागर।
मैं दासी तेरे नाम की॥ 5 ॥
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