बाबा, आप यह फावड़ा लेकर कहां जा रहे हैं?
गार्डन में।
क्यों?
यह क्या सवाल हुआ? फावड़ा लेकर गार्डन में खुदाई के लिए ही तो जाया जाता है।
वो तो मुझे मालूम है, लेकिन मैं यह जानना चाह रही थी कि खुदाई किसलिए?
एक चार फुट का पेड़ नर्सरी से मंगाया है, उसे लगाने के लिए।
उसके लिए तो काफी खुदाई करनी होगी।
हां।
तो किसी म़जदूर को क्यों नहीं बुला लिया।
खुद बागवानी करने से शौक भी पूरा होता है और तन्दुरूस्ती भी सही रहती है।
लेकिन बड़ा गड्ढा खोदने में तो बहुत मेहनत और वक्त लगेगा।
हां, यह बात तो है।
आखिर आप कितना गहरा गड्ढा खोदेंगे?
त़करीबन 6 फीट का।
और वह गड्ढा चौड़ा कितना होगा?
उतना ही, तकरीबन 6 फीट का।
यह तो बड़ा गड्ढा हुआ।
हां, लेकिन इससे मुझे एक बात याद आयी।
क्या?
अगर इस फावड़े से मैं 6 फीट गहरा और 6 फीट चौड़ा गड्ढा खोदता हूं, तो उस गड्ढे में कितनी धूल होगी?
यह तो बहुत आसान सवाल है।
तो ़जवाब दीजिए।
गड्ढे में 36 क्यूबिक फीट धूल होगी।
गलत।
क्यों?
अगर गड्ढे के अन्दर की हवा ही नापनी होती, तो भी उसकी लम्बाई का जानना भी ़जरूरी था। जो मैंने आपको नहीं बतायी।
यह बात तो है, लम्बाई, चौड़ाई और गहराई के आधार पर ही अन्दर की ची़ज नापी जा सकती है।
तो तुम गलत हुईं न।
जी। फिर आप ही बतायें कि गड्ढे में धूल कितनी होगी?
अब भी मेरी बात नहीं समझीं। मैंने कहा, अगर गड्ढे में अन्दर की हवा भी नापी जाती…।
तो?
गड्ढे में धूल होगी ही नहीं।
क्यों?
गड्ढा, चाहे कितना ही बड़ा क्यों न हो, वह गड्ढा ही होता है और इस लिहाज से खाली होता है। इसलिए उसमें धूल होगी ही नहीं। अगर धूल होगी तो वह गड्ढा नहीं रहेगा, वह भर जायेगा।
अरे! इस एंगल से तो मैंने सोचा ही नहीं।
दिमाग लगाया करो। हर चा़ज नाप-तौल से ही समझ में नहीं आती है। सवाल के शब्दों पर ध्यान दो, तो ़जवाब अपने आप समझ में आ जाता है।
आइन्दा ख्याल रखूंगी।
तो अब चलें गार्डन में…
गड्ढा खोदने?
बिल्कुल।
– कुंवर चांद खां
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