गिरिहंदुसेया बौद्घ मंदिर

थिरियाई स्थित गिरिहंदुसेया मंदिर श्रीलंका में सबसे पुराना बौद्घ मंदिर माना जाता है, जिसमें बुद्घ के बालों के अवशेष सुरक्षित हैं।

बर्मा के दो व्यापारियों तपस्सु व भल्लिक ने बुद्घ की बोधि – प्राप्ति के पन्द्रहवें दिन उन्हें चावल व शहद के बने व्यंजन अर्पित किये थे। बुद्घ ने उन्हें “धम्म’ उपदेश दिया। वे बुद्घ व धम्म की शरण में आ गये। उन्होंने बुद्घ से पूजा के लिए कुछ मांगा। बुद्घ ने उन्हें अपने बालों का गुच्छा दे दिया। दोनों व्यापारी बंधु इससे बहुत आनंदित हुए और इन बालों को सोने की एक डिब्बी में रखकर अपने साथ रखने लगे। वे व्यापार के सिलसिले में श्रीलंका गए। वहॉं कल्लरवा के नाम से ख्यात गलवरया क्षेत्र में पड़ाव डाला। वह क्षेत्र एक यक्ष शासक के अधीन था। दोनों व्यापारी बंधुओं ने यक्ष राजा से भेंट की तत्पश्र्चात् सुरक्षा की दृष्टि से एक निकटवर्ती पर्वत पर चढ़ गये। एक छोटी-सी चट्टान पर सोने की वह डिब्बी रख दी और उस पर सफेद रंग का कपड़ा ढंक दिया। उन लोगों ने पर्वत शिखर पर रात बिताई। अगली सुबह वे प्रस्थान के लिए तत्पर हुए। सोने की डिब्बी की पूजा करके जैसे ही उसे उठाने लगे, तो पाया कि वह चट्टान पर चिपक गई। उसे वहां से हटाने के सभी प्रयास विफल हो गये तो थक-हार कर उन लोगों ने उस डिबिया को पत्थरों के टुकड़ों से ढंक दिया। इसके पश्र्चात् यक्ष राजा बौद्घ धर्म अपना कर उस डिबिया की पूजा करने लगे।

माना जाता है कि राजा वासव ने 67 ईस्वी में मूल स्तूप बनवाया था और एक सिंचाई की टंकी भी बनवाई थी, जिसे अब थिरियाई टंकी के नाम से जाना जाता है। राजा पांडुकबाया और राजा देवानामपिय तिस्स ने भी 412 ईस्वी तक इस स्तूप का नवीनीकरण कराया, किन्तु लगातार आामणों के कारण बौद्घों ने यह स्थान छोड़ दिया। मंदिर उपेक्षित हो गया। आस-पास का क्षेत्र घना जंगल बन गया। इस क्षेत्र को सन् 1929 में सर्वेक्षकों के एक समूह ने खोजा। परीक्षण करने पर यहॉं अभिलेखों के अनेक प्रस्तर मिले, जिनके अध्ययन से पता चला कि यह स्थान गिरिहंदुसेया है, जहॉं तपस्सु व भल्लिक बंधुओं द्वारा लाये बुद्घ के बालों के अवशेष हैं। खंडहर हुए मंदिर का पता चलने पर पुरातत्व विभाग को सूचित किया गया। यहॉं बुद्घ के बाल होने की सार्वजनिक घोषणा की गयी। 1930 ईस्वी में गजट की अधिसूचना के जरिए डी.एस. सेनानायक के निर्देश पर परनवितान ने चैत्य का नवीनीकरण किया और 1951-52 में विहार का भी नवीनीकरण किया गया।

– निर्विकल्प विश्र्वहृदय

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