चन्दा रे चन्दा रे, सन्देशों लादे म्हारी मायरो।
चाँदनिया में चमके चीर चीर ओढा वे म्हाने धर्मरो
बीर म्हारा चन्दा रे, चन्दा रे, संदेशो लादे म्हारी मायरो॥
रस्ते बहतो एक बिन्जारो गाँव बिनजवा आयो।
जान नहीं परायो बीरो, काँई काँई गहरी में लायो
विश्राम करे पीपल के तले, ज्याँरी छाया बडी गंभी॥
तीस लागी जद वो बिन्जारो पानी पीवन आयो।
सास हुक्म सुं भरकर लोटो, थन्डो पानी पायो॥
भाई की याद काँई करी रे घात, नैना सूँ बह गयो न॥
बिन्जारो सब बिन्ज भूलग्यो, भूल्यो रोटी खानी।
घूँघट उगाड बाई मुखडो दिखा दे, नहीं थारा मन डारी।
भाई बनकर दुःखड़ो सुनसूं, कहो तो पहुँचा दूँ थानेप॥
हँस हँस काम करूँ म्हारा बीरा दुःख देख्या सुख आ
सब कुछ दियो भगवान दियो नहीं माँ को जायो भी।
मायरिया री मन में आवे, कुण ओढासी म्हानें चीर॥
सूरज साक्षी मैं धर्म रो बीरो, फिकर करो मत बाईजी।
थारे मायरिया में काँई काँई चाहिजे चीजा देवो बतायाजी
आँगणिये चढ भरूँ मायरो, मनडा में आवे म्हानें धीर॥
थे मती बहावो नीर ओढो बाई चीर बीरो सिर हाथ धरे।
बीन्जारो भानूं का ब्याह में, मामो बन मायरो भरे।
शिव के बेरो धन कुछ ना घटीयो, बह गयो नदियाँ ज्यूँ॥
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