चैत्र महीना में चिन्ता लागी, गुरु बिन कौन मिटावे।
और दवाई म्हारे दाय नहीं आवे घडी पलक ज्यूँ जावे॥
याद करुँ जद रहो हिरदां में, पल पल प्रेम सतावे गुरा सां॥
ओलूँ आपरी आवे, ओलूँ आपरी आवे गुरासा ओलूँ आपरी आवे॥ टेर ॥
वैशाखा भँवरा ज्यूँ भटक्या, बाग नजर नहीं आवे।
खील रहया फूल लपट रही कलियाँ, जाय गुराने मनावे॥ 2 ॥
ज्येष्ठ महीनों ऋतु गर्मी रो, जल बिन जीव घबरावे।
आप गुरासा म्हारा इन्द्र समाना, होय इन्द्र बरसावे॥ 3 ॥
आषाढ महीना में आशा लागी, पपीहा शोर मचावे।
आप गुरासा म्हारा शायर समाना, प्यालो प्रेम वालो पावे॥ 4 ॥
श्रावण में सायंब घर आया सखियाँ मंगल गावे।
मंगलाचार बधावो गावे, गुरा साने जाय मनावे॥ 5 ॥
भादव ओ भक्ति रो महीनों, गुरु बिन कौन चेतावे।
जस्सूलाल शरणे सत् गुरु के, भाग्य पुरबला पावे॥ 6 ॥
You must be logged in to post a comment Login