सोलह साल की हंसिका मोटवानी ने कभी नहीं सोचा था कि इतनी कम उम्र में अपनी से दोगुनी उम्र के नायक हिमेश रेशमिया की नायिका उन्हें बनना पड़ेगा, मगर फिल्म “आपका सरूर’ ने सारी बातें बना दीं। आज हंसिका एक और उम्र दराज नायक गोविंदा के साथ फिल्म “मनी है तो हनी है’ में काम कर रही है। हंसिका हंस कर बताती है, “इसे आप एक संजोग कहिए मेरे कई हीरो मुझसे उम्र में बहुत बड़े हैं। पर मैं मिमोह, श्रेयस तलपदे, तुषार जैसे हीरोज के साथ भी फिल्में कर रही हूँ।’ फिल्मों के साथ-साथ हंसिका अपनी पढ़ाई को लेकर भी व्यस्त है। अभी हाल में वाह इसलिए एक फिल्मी पार्टी में नहीं गई, क्योंकि उसे घर में बैठ कर अपनी बारहवीं की परीक्षा की तैयारी करनी पड़ रही थी। पढ़ाई और अभिनय एक साथ चलाने में उसे कितनी परेशानी होती है? इस सवाल पर हंसिका खिलखिला कर हंस पड़ती है, “मैंने अपने दिमाग में सिर्फ एक बात गांठ बांध ली थी, यदि मुझे अपनी पढ़ाई जारी रखनी है, तो मुझे बहुत ज्यादा अनुशासित होना पड़ेगा। इस मामले में मेरे स्कूल की प्रिंसिपल वंदना लुल्ला और कई टीचरों ने मेरी काफी मदद की है। इसलिए अब तक मैं शूटिंग के ाी टाइम में अपनी पढ़ाई को जारी रख पाई हूँ। मैं हमेशा रात को जल्दी सो जाती थी, ताकि सुबह जागकर अपनी पढ़ाई पूरी कर सकूं। शूटिंग के सिलसिले में मुझे हमेशा ोश रहना पड़ता है, इसलिए गए रात तक जागकर मैंने कभी पढ़ाई नहीं की।’
हंसिका इस छोटी-सी उम्र में अपने खानपान को लेकर बहुत सजग है। वह पूरी तरह से शाकाहारी है। बचपन से ही अभिनेत्री बनने का मेरा एक सपना था। आज भी अपने आपसे यही कहती हूँ, कोई भी मौका मुझे नहीं छोड़ना है।’ इतनी अल्प उम्र में अभिनय के साथ उसका जुड़ाव कैसे हो गया? हंसिका का जवाब लाग-लपेट से दूर होता है, “मेरी मॉं एक स्किन एंड हेयर स्पेशलिस्ट है। उनके पास बॉलीवुड के कई नामचीन सितारे आते थे। उन्हीं के माध्यम से कई लोगों से मेरा परिचय हुआ। कुछ साल तक तो मैंने अपनी पढ़ाई पर ही पूरा ध्यान दिया था। मॉं ने बिल्कुल फिल्मों में काम नहीं करने दिया था। इसके बाद जब “आपका सरूर’ का ऑफर मिला, तो मुझे ऐसा लगा कि यह मेरे लिए एक बड़ा ब्रेक है। इसलिए मॉं ने भी कोई आपत्ति नहीं की।’
वैसे बाल कलाकार के रूप में हंसिका को गोविंदा और जूही चावला की मुख्य भूमिका से सजी फिल्म “याहू’ में एक मौका मिला था, पर वह फिल्म आधी बनकर ही डिब्बे में बंद हो गयी? इसके बाद जूही के कहने पर ही शाहरुख खान के साथ एक विज्ञापन फिल्म में उसे काम करने का मौका मिला। इसके बाद से ही छोटे परदे के कई ऑफर उसके पास आने लगे। “बूगीबूगी’, “हम हैं न’, “कभी मस्ती कभी धूम’, “शाकालाका बूम बूम’ आदि कई मेगा धारावाहिकों में काम करके चाइल्ड आर्टिस्ट हंसिका छोटे परदे का एक चर्चित नाम बन गई। इसके बाद जब राकेश रोशन ने अपनी फिल्म “कोई मिल गया’ में रितिक के साथ मौका दिया, तब तक हंसिका एक अति लोकप्रिय नाम बन चुकी थी। वैसे मेहुल कुमार की “जागो’ में ही उसे सबसे ज्यादा अहम रोल मिला था। इसमें उसने एक दस वर्षीय ऐसी बच्ची का रोल किया था, जिसका लोकल टेन में एक नशेड़ी बलात्कार करता है। हंसिका के पिता नहीं हैं। मॉं ने ही अकेले उसका लालन-पालन किया है। हंसिका बताती है, “मैंने पिता की कमी कभी महसूस नहीं की। यहॉं तक कि मैं उनके नाम का भी इस्तेमाल नहीं करती हूँ। अपना नाम सिर्फ हंसिका लिखती हूँ। यह एक दिलचस्प संयोग है कि हंसिका जिस अपार्टमेंट में रहती है उसका नाम भी “हंसिका’ है। वह इस बात को कबूल करती है कि “आपका सरूर’ के जरिए वह ज्यादा लाइम लाइट में नहीं आ पाई, पर यह तो चलता रहता है। आप अपनी पहली फिल्म से ही यह उम्मीद जोड़ लें कि आप कोई करिश्मा करने वाली हैं, तो यह कैसे संभव हो सकता है? मुझे शुरू से ही पता था कि “आपका सरूर’ पूरी तरह से हिमेश रेशमिया की फिल्म है। अब जैसे कि मेरी अगली फिल्म “मनी है तो हनी है’ गोविंदा जी पर केंद्रित है, मगर मैं जरा भी जल्दी में नहीं हूँ। दो-चार फिल्मों के बाद जोरदार अच्छे रोल भी मुझे मिलने शुरू हो जाएंगे।’
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