जरा तुम देखो रे लोगों, नाव में नदियाँ डूबी जाय।
होे नाँव में नदियाँ डूबी जाय, हो नाँव में नदियाँ डूबी जाय॥
घडा ना डूबे घडी ना डूबे, हाथी मल मल नहाय।
कोट कँगूरा पानी चढग्यो, चिडीया प्यासी जाय॥ 1 ॥
एक अचम्भा हमने देखा कुँए में लग रही आग।
कीचड पानी सारा जलग्या, मच्छियाँ खेले फाग॥ 2 ॥
एक अचम्भा हमने देखा, मुर्दा रोटी खाय।
बतलाया बोले नहीं रे, मारत ही चिल्लाय॥ 3 ॥
कीडी बाई चली सासरे, नौ मन सूरमों सार।
भुरीयो हाथी लियो बगल में, ऊँट लपेटा खाय॥ 4 ॥
सास कँवारी बहू अम्ल से, नन्दल सौंठ लड्डू खाय।
पाडोसन तो बच्चा जन गई, गीत नपूँसक गाया॥ 5 ॥
कहत कबीर सुनो भई साधू, ये पद है निर्वाण।
इस पद का जो अर्थ बतावे, वो नर चतुर सुजान॥ 6 ॥
You must be logged in to post a comment Login