एक बार की बात है। एक डॉल्फिन अपने बच्चों के साथ समुद्र की परिामा कर रही थी। उसी दौरान उसे एक अंगूठी मिली। वह उसे उलट-पुलट कर देख ही रही थी कि एक जलपरी आई और उससे पूछने लगी, तुमने मेरी अंगूठी देखी क्या? वह अंगूठी मेरे पिताजी ने मुझे
अपने जन्मदिन पर दी थी।
डॉल्फिन ने जलपरी से पूछा, क्या यही वह अंगूठी है? जलपरी ने अंगूठी देखकर पहचान लिया कि वह उसी की है। वह खुश हो गई। तब जलपरी ने डॉल्फिन को धन्यवाद देते हुए कहा कि तुम्हें जब भी मेरी जरूरत हो, तो मुझे याद कर लेना। यह कहकर जलपरी वहां से चली गई। कुछ दिनों बाद ही सागर में एक बड़ा तूफान आया और डॉल्फिन अपने बच्चों से बिछड़ गई। वह उन्हें यहॉं-वहॉं ढूँढने लगी। तब उसने जलपरी को याद किया। डॉल्फिन के पुकारते ही जलपरी तुरंत वहां आ पहुँची और बुलाने का कारण पूछने लगी। डॉल्फिन ने जलपरी को बताया कि किस तरह एक बड़ा तूफान आया और उसकी चपेट में आकर उसके बच्चे उससे अलग हो गए। उसने रोते हुए जलपरी से कहा कि मुझे किसी भी तरह मेरे बच्चों तक पहुँचा दो। ना जाने वे किस हाल में होंगे। कुछ खाया-पिया भी होगा या नहीं। जलपरी डॉल्फिन को सांत्वना देकर उसके बच्चों को ढूँढने निकली तो कुछ ही दूरी पर उन्हें बुरी तरह घायल अवस्था में पड़े हुए पाया। जलपरी किसी तरह उन्हें लेकर डॉल्फिन तक आयी और उनकी गंभीर हालत देखकर कहा कि इन्हें तुरंत इलाज की जरूरत है। इनकी जान बचाने का एक ही उपाय है। समुद्र के बीचों-बीच एक टापू है। तुम्हें उस टापू से अमर संजीवनी की पत्तियां लानी होंगी। उन पत्तियों का रस अपने बच्चों को पिलाओ। वही बूटी उन्हें जीवनदान दे सकती है। डॉल्फिन ने ऐसा ही किया। वह बड़ी मुश्किल से टापू तक पहुंची। उस टापू पर बहुत सारी जड़ी-बूटियां थीं। डॉल्फिन को समझ में नहीं आ रहा था कि इनमें से कौन-सी बूटी अमर संजीवनी है। वह बहुत परेशान हो गई। अंत में सारे पौधों की पत्तियां तोड़कर वापस लौटी। उसने जलपरी से कहा कि मुझे मालूम नहीं था कि इनमें से कौन-सी अमर संजीवनी बूटी है। जलपरी, तुम ही ये उलझन सुलझा सकती हो। जलपरी ने झटपट अमर संजीवनी की पत्तियों को मसला और उसका रस निचोड़कर डॉल्फिन के बच्चों के मुँह में डाल दिया। कुछ ही देर में बच्चों ने आँखें खोल दीं। वह अब ठीक हो रहे थे। इस तरह जलपरी ने उन्हें नया जीवन दिया। डॉल्फिन ने जलपरी को बहुत-बहुत धन्यवाद दिया और हॅंसी-खुशी अपने बच्चों को लेकर गहरे पानी में चली गई।
शिक्षा- प्यारे दोस्तों, किसी की मदद करना अच्छी बात होती है।
– तरुण कुमार एन.
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