झूठ बोलना एक कला है और पकड़े जाने पर एक बला है। लेकिन विवेक व ज्ञान के आधार पर झूठ की साधना की जाती है। एक बार झूठ सिद्घि प्राप्त कर जाए तो वह प्रज्ञावान प्राणी समस्त संसार के सुख भोग सकता है। मैं स्वयं झूठ सिद्घि प्राप्त करने की दिशा में लगा हूँ। झूठ के मेरे प्रयोगों ने मुझे आत्मिक सुख प्रदान किया है। वैसे हर ज्ञानी झूठ-शास्त्री होता है किंतु जमाने की रफ्तार के साथ झूठ की साधना करने वाला प्राणी ही “सर्वाइव’ करता है। जो व्यक्ति झूठ की ओर अग्रसर नहीं होता वह निश्र्चित ही मृत्यु का वरण करता है। देश में मृत्यु दर निम्न स्तर पर है इससे सिद्घ होता है कि देश में झूठों की कोई कमी नहीं है। फिर भी झूठी दुनिया में मेरा भी झूठ के प्रति योगदान बना रहे अतः “झूठ के मेरे प्रयोग’ नामक शास्त्र की रचना करने में लगा हूँ। झूठ पुराण में झूठ के हर पहलू पर उद्घरण सहित व्यापक मंत्र लिखने की प्रिाया में लगा हूँ। किंतु पाठकों के हित के लिए टेलीफोन पर बोले जाने वाले झूठों का खुलासा करूँगा ताकि ज्ञानी पाठक मेरे अनुभवों से लाभ उठा सकें।
टेलीफोन का आविष्कार ही झूठ बोलने के लिए हुआ है। समस्त झूठ शास्त्रियों को टेलीफोन को अपना देवता घोषित कर उसकी पूजा करनी चाहिए। टेलीफोन और मोबाइल फोन पर झूठ की बरसात होती है। नाना प्रकार के झूठों का आदान-प्रदान इन पर बड़ी श्रद्घा और भक्ति-भाव से किया जाता है। बीबी से झूठ बोलना हो या बॉस से। प्रेमिका से झूठ बोलना हो या कर्जदार से। बुश से झूठ बोलना हो या मुश से। मंत्री से झूठ बोलना हो या संतरी से। सभी प्रकार के झूठों में टेलीफोन देव रक्षक व सहायक होते हैं। टेलीफोन देवता झूठ को पंख लगाकर फैला देते हैं। टेलीफोन पर झूठ के सहारे गली का नत्थूलाल भी बड़ा नेता बनकर अफसर को डांट पिला सकता है तो पति देवता प्रेमिका की बाहों में झूलते हुए पत्नीश्री से साफ कह सकते हैं कि अभी मैं हनुमान जी के मंदिर की सीढ़ियॉं चढ़ रहा हूं। कुल मिलाकर झूठ रूपी कला की आत्मा टेलीफोन के तारों में निवास करती है। मोबाइल में झूठ की आत्मा “चिप’ है। इस पर रिकॉर्डेड झूठ होते हैं।
टेलीफोन पर झूठ बोलते समय जरा सावधानी बरतें तो जीवन खुशहाल बन सकता है। अगर किसी अगले व्यक्ति को मोबाइल पर झूठ बोल रहे हैं तो याद रखें। आपके नम्बर उसकी सीन पर उपलब्ध हैं। समय व दिनांक सहित सारा रिकॉर्ड उपलब्ध है। इस समय अगर आप बेसिक फोन से झूठ बोल रहे हैं तो आपकी लोकेशन भी पता है। इस अवस्था में आप जयपुर में बैठ कर दिल्ली से बात करने का झूठ कदापि नहीं बोलें। घर में बैठे-बैठे ऐसे न कहें कि ऑफिस से बोल रहा हूँ। क्योंकि आपका बेसिक टेलीफोन नम्बर सामने वाले को ज्ञात है। ऐसे झूठ बोलने के लिए मोबाइल का ही उपयोग करें। मोबाइल द्वारा घर में बैठे-बैठे ही कह सकते हैं कि इस वक्त अमेरिका के राष्टपति के साथ दिल्ली में चर्चा कर रहा हूँ। फिर कभी बात करूँगा। इसके उलट अगर किसी को अपने लोकेशन की जानकारी देनी है तो बेसिक फोन से बात करें, भले ही आपके पास मोबाइल हो। इस समय शान से कह दें कि मेरे मोबाइल की बैटी लो है या नेटवर्क बिजी बता रहा है। अगर स्वयं टेलीफोन पर बात करने से बचना है तो स्वयं ही टेलीफोन पर अपना भाई बनकर चोगे पर रुमाल रखते हुए बात कीजिए। “मिमिाी’ कीजिए। देखिए झूठ के किस तरह पंख लगते हैं। बाकी आप स्वयं समझदार हैं।
– रामविलास जांगिड़
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