परमाणु करार के ़जरूरत से ज्यादा प्रचार-प्रसार का आम जनमानस पर इतना व्यापक असर हो गया कि एक प्रेमी ने अपनी प्रेमिका के समक्ष शादी का प्रस्ताव रखा तो प्रेमिका ने मुंह बिचकाते हुये कहा कि उसका शादी जैसी पुरातनपंथी विचारधारा में कोई विश्र्वास नहीं है। हां, वो इसकी जगह उसके साथ जीवन बिताने के लिये करार करने को तैयार है। यह करार दोनों पक्षों की आपसी सहमति पर आधारित होगा जिसमें करार के अनुपालन के लिये कुछ पूर्व निर्धारित शर्तें होंगी जिनका निष्ठापूर्वक पालन करना इस करार की एक अतिरिक्त शर्त होगी।
अंधा क्या चाहे, दो आँखें और आशिक को क्या चाहिये, माशूका का साथ। इसके लिये वो एक क्या सौ करार करने को तैयार रहता है। वैसे भी आजकल लैला-मजनूं टाइप प्यार का तो चलन है नहीं। आज तो प्यार वैसे भी एक समझौतावादी शक्ल अख्तियार कर चुका है।
सो प्रेमी ने प्रेमिका पर निछावर होने वाले अंदाज में कहा “डार्लिंग, तुम्हारा साथ पाने को मैं ब्लैंक पेपर पर साइन करने को तैयार हूँ। तुम कहो तो सही, मैं तो एडवांस में तुम्हारी सारी शर्तें पूरी करने का वचन देता हूं। अब जरा उस करार का मसौदा तो समझाओ।’
“तो सुनो! इस करार की प्रथम शर्त यह है कि मैं अपना दिल तुम्हें लीज पर दे रही हूँ वो भी केवल एक वर्ष के लिये। यह एक तरह से तुम्हारी आशिक मिजाजी का टायल पीरियड होगा।’
“पर जानेमन, केवल एक साल के लिये ही क्यों? क्या इसके बाद मुझे फिर नये सिरे से शुरुआत करनी होगी?’
“बीच में बोलने की आदत मुझे जरा भी पसन्द नहीं। पहले पूरी बात सुन लो और समझ लो, तब सवाल करना। इस एक साल में तुम्हारी परफारमेंस देखी-परखी जायेगी। संतुष्ट होने पर यह अवधि फिर एक साल के लिये बढ़ाई जा सकती है।’
“बाप रे! ़जरा से दिल के साथ इतनी बड़ी-बड़ी शर्तें! आखिर यह दिल है या…।’
“अब तुम चाहे जो भी समझो, मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता मगर इस करार की मूल शर्त यही है कि तुम जब तक इस दिल में रहोगे, बहैसियत किरायेदार रहोगे। उस पर मालिकाना हक हमेशा मेरा रहेगा।’
“तो फिर इस दिल में स्थायी जगह पाने के लिए मुझे क्या करना होगा?’
“तुम्हें पूर्णतया शोधित प्यार की अबाध सप्लाई जारी रखनी होगी। इसमें अगर ़जरा-सी भी चूक हुई तो फिर तुम्हारा पत्ता कटा समझो।’
“लेकिन डार्लिंग, प्यार के बारे में तो मैंने सुना है लेकिन इसके शोधित संस्करण की मुझे कोई जानकारी नहीं है। इसके लिये मुझे आवश्यक दिशा-निर्देश की ़जरूरत है।’
“तो सुनो! जमाना बहुत तेजी से बदल रहा है इसलिये इस दिल को हर दिन शोधित एवं परिमार्जित संस्करण चाहिये। हर नये दिन नया फैशन आ रहा है। उसके लिये तुम्हें हर दिन अपने प्यार का टेंड भी चेंज करना होगा।’
“तो फिर उसके लिये मुझे क्या करना होगा?’
“इसे ऐसे समझो, जैसे जो चप्पल मैंने आज पहनी है वो कल आउट डेटेड हो गयी तो तुम्हें फौरन मेरे लिए नवीनतम ब्रांड की चप्पल लाकर देनी होगी। तब तुम यह बहाना नहीं बनाओगे कि डार्लिंग अभी कल ही तो मैंने तुम्हें चप्पल खरीद कर दी थी या सॉरी डार्लिंग! आज मेरी जेब इजाजत नहीं दे रही।’
“ठीक है, जब करार किया तो डरना क्या! मैं अपनी तरफ से ऐसा मौका नहीं आने दूंगा। आगे बोलो!’
“इस करार की मुख्य शर्त यह है कि मैं तुम्हारे दिल के अन्दर-बाहर जहां चाहे रहूँ, तुम्हें कभी कोई आपत्ति नहीं होगी मगर तुम सिर्फ मेरे दिल के अन्दर रहोगे। इसके बाहर झांकने की हिमाकत तुम कभी नहीं करोगे।’
“यह तो बड़ी डेंजरात्मक शर्त है जानेमन! इसमें तुम्हें भी यह ध्यान रखना होगा कि तुम्हारे दिल के चूंकि मैं अंदर रहूँगा, इसलिये तुम्हें इस पर थोड़ा कंटोल तो करना ही होगा क्योंकि यह मेरी इज्जत से जुड़ा मामला है।’
“सॉरी मिस्टर! तुम शायद भूल रहे हो कि यह दिल दा मामला है और तुम इसमें महज किरायेदार हो। मेरा दिल कहीं भी आ सकता है। तुम इसके मुक्त पारगमन में कोई बाधा खड़ी नहीं करोगे। लोग प्यार में तो जाने क्या से क्या कर गुजरते हैं और तुम अभी से इतनी मीनमेख निकाल रहे हो?’
“मगर यह प्यार नहीं है डार्लिंग। यह तो करार है। प्यार करने वालों की बात और होती है मगर यह करार तो बड़ी सूझ-बूझ के साथ रखना पड़ता है। अन्यथा जरा-सी भूल होने पर हाथ मलना पड़ेगा और फिर सब कुछ उजड़ जाने के बाद यही मर्सिया पढ़ना पड़ेगा कि और हम खड़े-खड़े करार देखते रहे…।’
“तुम कैसे प्रेमी हो! प्यार करने वाले कहीं सोचते हैं? अरे जिनमें सोचने-समझने की शक्ति नहीं होती, वही तो प्यार करते हैं। तुम इस करार पर दस्तखत करो वरना मैं चली अगली पार्टी के पास।’
“तुम ठीक कहती हो। जब सियार की मौत आती है तो वह गांव की तरफ भागता है और जब प्रेमी के बुरे दिन आते हैं तो वह प्यार में एक करार कर लेता है। कुछ कुलीन लोग इसी को शादी कहते हैं जिसके बाद आदमी को घर-बाहर हर जगह समझौते करने पड़ते हैं और वह लुटा-पिटा आदमी गली-गली नगर-नगर डील न करियो कोय… का ढिंढोरा पीटता घूमता रहता है।’
– प्रेमस्वरूप गंगवार
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