अन्य लतों की तुलना में संबंधों की लत को कम गंभीरता से लिया जाता है। लेकिन वास्तविकता यह है कि यह बहुत दर्दभरी होती है और दोनों के लिए ही खतरनाक हो सकती है, जिसे लत है उसे भी और उसके साथी के लिए भी।
बहुत-सी खुदकुशियों, हत्याओं, बलात्कारों और सेक्स के अन्य अपराधों की जड़ें इसी लत से जुड़ी हुई हैं। हमारी संस्कृति की परंपरा प्रेम की लत के गुणगान की है, इस सोच के साथ कि हमें प्यार होता है और फिर हम हमेशा खुशी-खुशी साथ रहते हैं। हिंदी फिल्मों ने भी इस धारणा को बल प्रदान किया है, लेकिन यह सोच उन कोशिशों को नजरअंदाज कर देती है, जो संबंधों के लिए आवश्यक है। मीडिया में दर्शाये गये अधिकतर प्रेम-संबंध वास्तव में लत के संबंध होते हैं। इस लत से पीड़ित व्यक्तियों के कुछ लक्षण इस प्रकार हैं-
आत्म-सम्मान की कमी
यह आमतौर से आलोचना पर अतिभावुक होने के रूप में प्रकट होता है। साथ ही तारीफों को स्वीकार न कर पाना, हमेशा यह सोचना कि आप बेकार हैं, किसी काम के नहीं या कोई आपको प्यार नहीं करता, दूसरों की मौजूदगी में भी अकेलापन महसूस करना, अंदर से खालीपन का अहसास और दूसरों से अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए मदद न मांगना। संबंध के लती अक्सर सेक्स को स्वीकार कर लेते हैं, जबकि वह प्रेम की तलाश में होते हैं।
भावनाओं से इन्कार
जिन महिलाओं को संबंध की लत होती है, उन्हें अक्सर लगता है कि उनकी न खत्म होने वाली दयनीय स्थिति है, जिससे वह छुटकारा पाना चाहती हैं। किसी और की गमभरी जिंदगी में अपने आपको डुबोकर उनकी अपनी भावनाएं, जरूरतें और इच्छाएं पूर्णतः पृष्ठभूमि में चली जाती हैं, किसी और की भलाई की इच्छा को मद्देनजर रखते हुए। उन्हें नहीं मालूम होता कि उन्हें क्या चाहिए, लेकिन अपने साथी की जरूरतों को एकदम से महसूस कर लेती हैं।
दूसरों को खुश करना, एक स्वार्थी हरकत
संबंध के लत वाले लोग जो काम अपने लिए करना चाहिए उसे दूसरों के लिए करके स्वीकृति खरीदते हैं। ठुकराये जाने के डर से वह अपने मूल्यों से समझौता करते हैं। दूसरे के गुस्से या अप्रसन्नता को मद्देनजर रखते हुए, वह निरंतर दूसरों की इच्छाओं को अपनी इच्छा पर वरीयता देते हैं। मदद नियंत्रण का सुनहरी पहलू है। इसकी सौदेबाजी इस तरह से है- “”मैं तुम्हारा जीवन बेहतर बनाने के लिए मदद करूंगा और बदले में तुम मुझे प्यार करो।” बद्किस्मती से ज्यादातर लोग हस्तक्षेप पसंद नहीं करते, इसलिए मदद करने वाले को यह समझा जाता है कि वह हस्तक्षेप कर रहा है या उन्हें नियंत्रित कर रहा है।
क्या संबंध की लत से छुटकारा संभव है?
अपने आपसे निम्न वायदे करें तो डर निकल सकता है और लत से छुटकारा मिल सकता है-
- मैं नयी शुरूआत करने में सक्षम हूं, इसलिए खालीपन और अकेलेपन का यह एहसास गायब हो जायेगा।
- अब मेरे डर मुझे नियंत्रित नहीं करते। मैंने अपने डरों पर काबू पा लिया है और अब हिम्मत, निष्ठा व सम्मान से काम लेता हूं।
- अपनी पहली और वर्तमान की चिंता, ग्लानि और खेद से मैं मुक्त हो रहा हूं। मुझे मालूम है कि अब मुझे इन्हें दोहराना नहीं है।
- मैं एक नये प्यार को जानता हूं और अपनी व दूसरों की स्वीकृति को भी। मुझे वास्तव में अहसास हो रहा है कि मुझे प्यार किया जा रहा है और मैं भी प्यार कर रहा हूं।
- आत्म-सम्मान के लिए अब मुझे दूसरों पर निर्भर होने की जरूरत नहीं है।
क्या आप संकेतों को देख रहे हैं?
- आप किस तरह महसूस करते हैं, उसे कम या इन्कार कर रहे हैं।
- आप अपनी सोच, भावनाओं और व्यवहार की पुष्टि दूसरों से चाहते हैं और चाहते हैं कि वह आपको बताये कि क्या सही है।
- आपका मानसिक ध्यान दूसरों पर फोकस है, उन्हें सुरक्षा देना और तिगड़म बिठाना कि वह चीजों को आपके हिसाब से करें।
- आपके आत्म-गौरव को दूसरों की समस्या सुलझा कर सुकून मिलता है।
- आपको अपनी भावनाओं से ज्यादा यह मालूम है कि दूसरे कैसा महसूस करते हैं।
- आपको जो ठुकराये जाने का डर है, वह यह तय करता है कि आप क्या कहें और क्या करें।
- आपकी दूसरों को जरूरत है, इससे आप अपनी अहमियत समझते हैं।
– नम्रता नदीम
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