यह पता चला है कि मुहॉंसों की एक दवा दिमागी बुखार से पीड़ित बच्चों को मृत्यु से बचा सकती है। दरअसल, इस बीमारी का नाम जापानी एनसिफेलाइटिस है, जिसे बोलचाल में दिमागी बुखार कहते हैं। इससे मृत्यु तक हो सकती है। शोधकर्ताओं ने बताया कि एक आम एंटीबायोटिक औषधि मिनोसाइक्लिन से दिमागी बुखार से पीड़ित बच्चों का इलाज किया जा सकता है।
गुड़गांव (हरियाणा) स्थित “नेशनल ब्रेन रिसर्च सेंटर’ के मनोज मिश्र और अनिर्बन बसु की टीम ने पता लगाया है कि मिनोसाइक्लिन मृत्यु की संख्या को कम करता है। यह एंटीबायोटिक माइाोग्लिया को सिाय होने से रोकता है। माइाोग्लिया, वे कोशिकाएं होती हैं, जो केन्द्रीय तंत्रिका-तंत्र की क्षतिग्रस्त कोशिकाओं को नष्ट करती हैं। माइाोग्लिया कोशिका, जो विषाक्त पदार्थ छोड़ती हैं, वे क्षतिग्रस्त कोशिकाओं को निगल कर केन्द्रीय तंत्रिका-तंत्र की सफाई करते हैं। लेकिन यदि ये केन्द्रीय तंत्रिका-तंत्र में सिाय हो जाते हैं, तो स्वस्थ कोशिकाओं को भी नष्ट कर देते हैं।
चूहों पर किये गये प्रयोग यह दर्शाते हैं कि इस दवा का आगे विकास किया जाना चाहिए, जिससे इस बीमारी से पीड़ित रोगियों का उपचार किया जा सके। मिनोसाइक्लिन सस्ती व आसानी से उपलब्ध होने वाली दवा है। यह दिमागी बुखार से निपटने का एक कारगर औजार बन सकती है।
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