कलाकारः
इरफान खान, राहुल बोस, सोहा अली खान, पायल रोहतगी, राहुल खन्ना, कोंकोणा सेन शर्मा
संगीतः
सचिन गुप्ता
निर्देशकः
सिनिअर अनिल
क्रुलुषित रिश्तों की एक और कहानी नगर के मल्टी प्लेक्सों में प्रदशित हुई है। फिल्म सॉरी भाई में बड़े भाई की होने वाले दुल्हन से प्यार दिखाया गया था तो “दिल कबड्डी’ में शादी के तीन-चार साल के भीतर ही एक-दूसरे से ऊबने वाले पति-पत्नी की कथित समस्याओं को उजागर किया गया है।
इरफान खान और सोहा अली खान पति-पत्नी हैं, परंतु इनके विचारों में ठीक से तालमेल नहीं बैठ पाता है। जहॉं इरफान हमेशा सेक्स की सोचता रहता है, वहीं सोहा को यह सब ठीक नहीं लगता। ये दोनों पति-पत्नी इसी विषय पर गंभीर रूप से चर्चा करते हैं, जो हिन्दी दर्शकों को अनूठी लग सकती है। जिनके ब्याह को केवल चार वर्ष हुए हैं, जिनके घर में पति-पत्नी के अतिरिक्त कोई और सदस्य नहीं है और अभी कोई नन्हा भी नहीं जन्मा, ऐसे पति-पत्नी तलाक लेने का तय करते हैं। इनके इस फैसले से राहुल बोस और कोंकोणा सेन चकित होकर अपने वैवाहिक रिश्तों का निरीक्षण करने लगते हैंै। कहानी के तौर पर फिल्म में बस इतना ही है। कुछ दृश्य मल्टीप्लैक्स के दर्शकों को म़जेदार लग सकते हैं, जैसे- इरफान का डेटिंग करना, प्रोफेसर राहुल बोस द्वारा अपनी छात्रा से चुंबन की मांग करना आदि किंतु संवेदनशील दर्शकों को यह सब अश्लील लगेगा।
निर्देशक सिनिअर अनिल की यह पहली पेशकश अंग्रेजी फिल्म वुडी ऍलन की यकीनन नकल है। इरफान, राहुल बोस, सोहा एवं कोंकोणा के अभिनय के कारण यह फिल्म दर्शकों को पसंद आ सकती है। फिल्म का छायाचित्रांकन अच्छा है। पात्रों के लम्बे भाषण नाटकीय लगते हैं। इसे निर्देशन तथा पटकथा की कमजोरी कह सकते हैं। सचिन गुप्ता का संगीत भी कुछ खास कमाल नहीं कर पाया है। सिनिअर अनिल का अपनी पहली फिल्म के लिये इस प्रकार का विषय चुनना उनकी अभारतीय सोच का परिचायक है।
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