दिल की राह गुजरती है पेट से

कहावत है कि मर्द के दिल की राह पेट से होकर गुजरती है। सिर्फ मर्द ही क्यूं, स्वादिष्ट व्यंजन तो महिलाओं को भी भाते हैं। शायद यही कारण है कि स्वादिष्ट एवं पौष्टिक खाद्य-पदार्थ दिल के तारों को कुछ इस तरह झनझनाते हैं कि व्यक्ति की कामवासना जागृत हो जाती है। खाद्य-पदार्थों की वासनाजन्य शक्ति तो सदियों से विख्यात है। ग्रीक और रोमनवासी यौनिाया में रत होने से पूर्व, पूर्ण आऩंद उठने के लिए रसीले एवं ताजा फलों का सेवन करते थे। केसेनोवा को कामाग्नि जागृत करने के लिए अपने साथी को तथा स्व़यं भी ओएस्टर खाने-खिलाने की सलाह दी गई थी।

यह बात तो तय है कि सेक्स क्रिया और सेक्स संबंधी रिश्तों की प्रगाढ़ता में पौष्टिकता की भूमिका जबरदस्त है। भोजन की गुणवत्ता का यौनिाया की बेहतरी पर सीधा असर पड़ता है। पौष्टिक भोजन मात्र स्वास्थ्यवृर्द्घक ही नहीं बल्कि कामेच्छावर्द्घक भी होता है। अतः जीवनपर्यंत रोमांचक और बेहतरीन सेक्स का लुत्फ़ लेने के लिए अपने भोजन में ताजे-पके फलों, सब्जियों तथा चर्बी रहित प्रोटीन्स का समावेश करें। इनसे मिलने वाली पौष्टिकता के चलते, शरीर के अंग बेहतरीन स्थिति में रहेंगे और आपकी ऊर्जा का स्तर भी उच्चतम रहेगा। ये दोनों ही चीजें रोमांस और यौनिाया के लिए अत्यंत आवश्यक हैं।

किंतु ध्यान रहे, जहॉं कुछ खाद्य-पदार्थ कामवासना में वृद्घि करते हैं तो कुछ का प्रभाव यौनिाया में विपरीत भी होता है। तले व्यंजन और क्रीमदार सॉसेज या चटनियों के सेवन से कामोत्तेजना के स्थान पर आलस और सुस्ती का आलम रहता है, तो ़जाहिर है कि व्यक्ति यौनिाया में सिाय होने की अपेक्षा “आराम बड़ी चीज है, मुँह ढक के सोइये’ जैसी उक्ति पर अमल करेगा। इसके अतिरिक्त शक्कर, नमक, सेचुरेटिड वसा तथा प्रोसेस्ड खाद्य-पदार्थों के अत्यधिक मात्रा में सेवन करने से सहवास की इच्छा में कमी आती है। अगर भोजन में इनकी कमी कर दी जाये तो स्वास्थ्य सुधार के साथ-साथ कामेच्छा में भी वृद्घि होगी।

उपरोक्त खाद्य-पदार्थों के साथ-साथ शराब, सिगरेट और कॉफी के सेवन में भी कटौती करनी चाहिये। क्षणिक लुत्फ़ देने वाले ये पदार्थ मनुष्य को वास्तविक सुख (सेक्स क्रिया) से वंचित कर देते हैं और स्वास्थ्य के लिए भी खतरनाक होते हैं। वैसे, एक बढ़िया बात यह भी है कि इन म़जेदार खाद्य-पदार्थों में से कुछ लाभदायक भी होते हैं। स्वादिष्ट और मुख में घुल जाने वाली चॉकलेट की बात की जाये तो इसमें निहित फिनेलेनाइन नामक अमीनो एसिड उदासी और हताशा की स्थिति से उबारने वाले प्राकृतिक तत्व में वृद्घि करता है। चॉकलेट के कुछ टुकड़े ही कामवासना में इस हद तक इ़जाफा करते हैं कि व्यक्ति यौन सुख के लिए लालायित हो उठता है।

इस विषय पर “ए नैचुरल हिस्टी ऑफ दि सेंस’ के लेखक डायना एकरमैन के मुताबिक- अगर खाद्यपदार्थों के असर को सही ढंग से लिया जाये तो प्रायः सभी खाद्यपदार्थ कामवासना जगाने में सहायक होते हैं, बस ठीक प्रकार से जानने की आवश्यकता होती है कि कौन-से फलों और सब्जियों की सुगंध, आकार, स्पर्श तथा स्वाद इत्यादि व्यक्ति-विशेष की कामेच्छा जगाने में सहायक होते हैं। फलों को ही लें तो, तंतुओं से भरपूर और एंटी ऑक्सिडेंट्स तथा कामवासना जगाने के गुणों से ओत-प्रोत बहुत से ताजे फल पौष्टिकता के साथ-साथ कामोत्तेजना में भी वृद्घि करते हैं मसलन- सेब, खुबानी, केला, चैरी़ज, नारियल, खजूर, अंजीर, अंगूर, आम, पपीता, नाशपाती, आड़ू, आलूबुखारे, अनार तथा रसभरी और स्टॉबेरी इत्यादि फल प्रायः पूरी दुनिया में कामोत्तेजक खाद्यों में शुमार किये जाते हैं। फल चाहे कोई-सा भी हो, बस उसका पूरे मनोयोग से भरपूर स्वाद लें। सब्जियों में देखें तो, स्परागस, गाजर, सैलरी, भुट्टा, खीरा, बैंगन इत्यादि तथा इसी आकार-प्रकार की अनेकों सब्जियॉं अपने कामोत्तेजक गुणों के लिए जानी जाती हैं। वैसे आमतौर पर उपरोक्त सब्जियों को इस गुण से जोड़ कर नहीं देखा जाता, किंतु फिर भी विटामिन और खनिजों से भरपूर ये सब्जियॉं स्वास्थ्यवर्द्घक हैं।

इसी प्रकार एवोकेडो भी पालक की तरह स्फूर्तिदायक है। “लव एप्पल’ के नाम से मशहूर ताजे रसीले टमाटर भी एंटीऑक्सिडेंट का खजाना हैं और कामवासनावर्द्घक भी हैं। इनके अतिरिक्त बींस, लहसुन, लीक्स, पार्सली, काली मिर्च, सोयाबींस, पालक, टफ्फलस, टर्निप्स तथा वाटरोस इत्यादि भी सेक्स स्वास्थ्य में सहायक हैं।

सामिष लोगों के लिए एबालोन, ओएस्टर, स्केलॉप्स, श्रिम्प, लोब्स्टर तथा कॉड एवं हैलीबट इत्यादि गहरे एवं ठंडे पानी की मछलियॉं जैसा सी-फूड शारीरिक और मानसिक ़जरूरतों की पूर्ति के साथ-साथ कामेच्छा को भी बढ़ावा देता है। ओएस्टर में निहित जिंक और आयोडीन, पुरुष और महिलाओं में टेस्टोस्टेरोन नामक हार्मोन के उत्पादन में सहायक पोषक तत्वों में वृद्घि करता है। सी-फूड के अतिरिक्त चिकन और टर्की जैसे कम चर्बी वाले सामिष व्यंजन भी सेक्स स्वास्थ्य के लिए हितकर होते हैं, बशर्ते उन्हें खाते समय संयम बरता जाये- कहना है, “स्टेइंग हैल्दी विद न्यूटीशन’ के लेखक वेन्सी एल्सन का। संभव हो तो हार्मोंस तथा एंटीबायोटिक्स इत्यादि परेशानियों से बचने के लिए ऑर्गेनिक मीट का सेवन करना बेहतर होगा। इनके अतिरिक्त प्रोटीन्स के भंडार नट्स, बीजों और फलियों में से पाइन नट्स और लाल काशीफल के बीज कामेच्छा बढ़ाने में कारगर साबित होते हैं।

पोषण युक्त भोजन में वे सभी तत्व विद्यमान होते हैं, जो यौनेच्छा बढ़ाने के लिए आवश्यक हैं। मसलन- मल्टी विटामिन और खानिज्य आपूर्ति से अतिरिक्त पोषण मिलता है तथा ए,बी,सी, तथा ई विटामिंस यौन क्रिया के लिए आवश्यक हैं। सेलेनियम, मेंगेनीज तथा जिंक हार्मोंस को संतुलित कर कामेच्छा में वृद्घि करते हैं। अतः किसी एक विटामिन का सेवन करने की अपेक्षा, चिकित्सक से सलाह मश्र्विरा कर मल्टीविटामिंस और खनिजों का सही खुराक एवं मात्रा में सेवन करना चाहिये।

याद रखें कामेच्छा जगाने तथा रति सुख का सही आनंद लेने के लिए पौष्टिक और ल़जीज व्यंजनों के साथ-साथ उन्हें परोसने अर्थात् टेबल सेटिंग का भी पर्याप्त प्रभाव पड़ता है, व्यक्ति की कामेच्छा पर। जरा कल्पना कीजिये- अगर टेबल पर सुरूचिपूर्ण या कलात्मक ढंग से जायकेदार पकवान सजे हों, बत्तियॉं गुल कर कैंडल लाइट डिनर की तैयारी की गई हो और फिजा में हल्की-हल्की मधुर और सेक्सी स्वर-लहरियॉं बिखरी हों- तो फिर क्या होगा डिनर के पश्चात…! जो भी होगा, उसके पीछे सुरमई माहौल के साथ-साथ परोसे गये पकवानों और परोसने की कला की भी विशेष भूमिका रहेगी। आखिरकार, रोमांटिक डिनर के बिना कौन-सा रिश्ता परवान चढ़ा है भला!

अतः डाइनिंग टेबल सेट करने के तरह-तरह के नये-नये अंदाज अपनाइये तथा थोड़ी-बहुत चुहुलबाजी से माहौल को नशीला बनाइये और पहुँचाइये कामवासना को शीर्ष पर।

प्रस्तुति-  डॉ. नरेश बंसल

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