पारिवारिक जीवन एवं स्वास्थ्य :-
सामान्यतः इनका बचपन अच्छा होता है। इनकी पत्नी भी जिम्मेदार तथा शान्त प्रकृति की होती है। अपनी पत्नी का स्वास्थ्य खराब रहना, इनकी चिन्ता का मुख्य कारण होता है। इनकी पत्नी को एसिडिटी एवं गर्भाशय की समस्या रहती है। अपने बच्चों से भी इन्हें पूरा सुख नहीं मिल पाता। स्वास्थ्य के मामले में इन्हें पेट के रोग, लकवा, फेफड़ों की बीमारियॉं, कमजोर ऩजर तथा आँखों के अन्य दोष होने का खतरा रहता है।
स्त्री जातक : इस नक्षत्र की स्त्रियों में काफी गुण पुरुष जातकों से मिलते-जुलते होते हैं। चौड़ा माथा, सुन्दर दांत, लम्बी नाक, आकर्षक आँखें तथा सुगठित शरीर होता है। इस नक्षत्र की स्त्रियॉं आमतौर पर हठी एवं दुस्साहसी किस्म की होती हैं। बिना सोच-विचार के बोलने के कारण इनके अकारण ही दूसरों से झगड़े हो जाते हैं। ऐसी स्त्रियॉं “आ बैल मुझे मार’ वाली प्रकृति की होती हैं। इसके बावजूद भी इनका रहन-सहन का स्तर बहुत सादा होता है। इस नक्षत्र में उत्पन्न स्त्रियॉं प्रायः शिक्षित होती हैं। वे अपने पारिवारिक एवं वैवाहिक जीवन की सही खुशियॉं प्राप्त नहीं कर पाती। अपने पति से बिछड़ने या अन्य समस्या के बारे में चिन्तित रहती हैं। धार्मिक विचारों की होती हैं तथा व्रत, अनुष्ठान आदि में काफी रुचि रखती हैं। अगर इनका विवाह रेवती या उत्तराभाद्रा नक्षत्र में उत्पन्न युवक से हो, तो इनका वैवाहिक जीवन काफी सुखप्रद हो सकता है। अपने कैरियर के रूप में ये शिक्षिका, बैंक कर्मचारी, धार्मिक संस्थान से जुड़ा होना, लेखन, प्रकाशन आदि क्षेत्रों को चुनती हैं। रोगों के मामले में इन्हें गैस, हर्निया, गर्भाशय आदि की समस्याओं से ग्रस्त होने का खतरा बना रहता है।
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