घटक द्रव्य : आमाहल्दी चूर्ण 6 ग्राम, अफीम 1 ग्राम, फिटकरी 6 ग्राम, नीम के पत्तों का स्वरस 20 ग्राम तथा नींबू का रस 20 ग्राम।
निर्माण विधि : एक लोहे का पात्र लेकर उसमें सभी द्रव्यों को डालकर पत्थर की मूसली से घोंटें, घोंटते-घोंटते जब शहद जैसा गाढ़ा हो जाए, तब उसे कॉंच की डिबिया में भरकर रख लें।
उपयोग विधि : आँखें आने पर आँखों के बाहरी भाग पर रात को सोते समय इसका लेप करें। सुबह उठने पर आँखों को गर्म जल से धोएँ। इस प्रकार 4-5 बार प्रयोग करने से आँखें अच्छी हो जाती हैं तथा आँखों की ज्योति बढ़ जाती है।
घटक द्रव्य : छिलका रहित 50 ग्राम एरंडी का बीज, इलायची के दाने 25 ग्राम, बादाम गिरी 25 ग्राम, मिश्री 100 ग्राम और वंशलोचन 10 ग्राम लें।
निर्माण विधि : पहले एरंडी के बीज को गाय के आधा लीटर दूध में उबाल लें। फिर सभी द्रव्यों का बारीक चूर्ण बनाएँ और इसमें घी मिलाकर किसी कांसे की थाली में रखें। इसे एक मलमल के कपड़े से ढंककर प्रतिदिन रात को प्रतिपदा से शरद पूर्णिमा तक चंद्रमा के प्रकाश में रखें। औषधि मिलाते समय घी मिलाने के बाद हाथ नहीं लगना चाहिए। चंद्र प्रकाश में रखने से 15 दिन में यह औषधि सिद्घ हो जाती है।
सेवन विधि : इसे 15 ग्राम की मात्रा में खाकर ऊपर से मिश्री मिला गाय का कुनकुना दूध पिएँ। पथ्यपूर्वक नियमित तीन महीने तक इसका सेवन करने से नजर की कमजोरी तो दूर होती ही है, आँखों पर लगने वाला चश्मा भी छूट जाता है। यह स्मरण शक्तिवर्द्घक भी है।
घटक द्रव्य : केसर 10 ग्राम, भीमसेनी कपूर 5 ग्राम, मिश्री 10 ग्राम तथा सच्चा मोती 2 ग्राम एवं आवश्यकतानुसार गुलाब-जल लें।
निर्माण विधि : पहले गुलाब जल में मोती को भिगोकर तीन दिन रखें। इसके बाद मोती पीसने योग्य खरल में गुलाब-जल से मोती का मर्दन करें। उसी में केसर डालकर गुलाब-जल के साथ भली-भांति मर्दन करें। इसके बाद भीमसेनी कपूर तथा मिश्री डालकर पुनः अच्छी तरह मर्दन करके 200 ग्राम जल में घोलकर शीशी में रख लें।
उपयोग विधि : इसे 2-2 बूँद आँखों में डालने से नेत्र-ज्योति बढ़ती है, लेकिन आँखों में डालने से पहले शीशी को अच्छी तरह हिला लिया करें। यह नेत्र की पीड़ा को शीघ्र ही शांत कर लाली को भी काट देता है।
(कोई भी नुस्खा अपनाते समय विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें)
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