भारत विकासशील देशों की मैराथन दौड़ में शामिल है। यह बात किसी से छुपी नहीं है। ब्रिटेन में मंदी का दौर चल रहा है। वहां के प्रोफेशनलों की
नजर अब भारत पर टिकी है। एक आंकड़े के मुताबिक एशिया में भारत ही ऐसा देश है कि जहां से अपेक्षाकृत कम वेतन पर कुशल कामगार बुलाये जा सकते हैं। चूंकि भारतीय रुपये का मूल्य अमेरिकी या यूरोपीय मुद्राओं की तुलना में काफी कम है, इसलिए भी देश के युवा परदेश जाने को उत्सुक रहते हैं।
साथ ही एक भयावह तस्वीर भी है। हमारे देश से हर साल 2 लाख लोग अवैध रूप से यूरोप के देशों में बॉर्डर पार करने की कोशिश करते हैं। इनमें कई लोगों को अपनी जान भी गंवानी पड़ती है।
पंजाब, देश का एक ऐसा राज्य है जो खुशहाली की पंक्ति में सबसे आगे है। यहां पर प्रति व्यक्ति आय सबसे अधिक है। फिर भी विदेश जाने की लंबी कतार में पंजाब के लोग पहली पंक्ति में खड़े रहते हैं। यूएनडीओसी की रिपोर्ट के मुताबिक गैर कानूनी ढंग से परदेश में बसने वालों में से 80 फीसदी पंजाबी होते हैं। ऐसे करीब 5 लाख लोग इंग्लैण्ड में बसे हैं।
बीते दिनों 73 पंजाबियों ने अवैध तरीके से तेहरान में प्रवेश करने के लिए 1500 मील का पैदल सफर तय किया लेकिन वे लोग पकड़े गए। इन लोगों के पैदल चलने की वजह से पैरों में सूजन व जख्म हो गए थे जिसका इलाज कई महीनों तक चला। इसके बाद इन लोगों को वापस भेजा गया था।
पंजाबियों में विदेश जाने की सबसे ज्यादा ललक होती है। इसका फायदा उठाकर कई लोग पंजाब में फर्जी टैवल एजेंसी चला रहे हैं और यहां के युवकों को गुमराह करने में लिप्त हैं। हाल ही में एक एयरलाइंस का स्थानीय कर्मचारी चंडीगढ़ में फर्जी पासपोर्ट के साथ पकड़ा गया था। पुलिस के अनुसार इसका कई देशों में जाल फैला है जो पकड़ से बाहर है। पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक 2007 में पंजाब में 755 फर्जी टैवल एजेंट पकड़े गए थे।
रिपोर्ट के मुताबिक वर्तमान में चालीस हजार पंजाबी यूएई के कैंपों में शरण लेकर शरणार्थी की जिंदगी जीने पर मजबूर हैं। यूरोपीय देशों में प्रवेश करने के लिए करीब 1792 सीमाएं हैं। इनमें 665 हवाई, 871 समुद्री और 246 के लगभग जमीनी बार्डर हैं। दूर तक फैले इस जाल का फायदा उठाकर ही वे लोग अवैध रूप से यूरोप के देशों में पहुंचते हैं। ऐसी घटनाओं की वजह से विदेश गए बीस हजार केवल पंजाबी युवक ही विभिन्न देशों की जेलों में रोटी तोड़ रहे हैं। करीब 1500 युवक घुसपैठ के कारण अपनी जान गंवा चुके हैं।
पैसों की खनक और आधुनिक सुविधाओं के कारण यूरोपीय देश भारतीयों को आकर्षित करते रहे हैं। वैसे हमारे देश में रोजगार की असीम सम्भावना है। फिर भी लोग देश छोड़ने पर उतारू क्यों हो रहे हैं, इसके बारे में सरकार को सोचना चाहिए। आईटी सेक्टर से लेकर तमाम ऐसे सेक्टरों में युवाओं के लिए रोजगार की अपार संभावनाओं का सृजन हो रहा है। फिर भी 1960 से लेकर 2007 तक देश छोड़कर अन्य देशों में जाकर बसने वालों की संख्या 75 लाख से बढ़कर 191 लाख तक पहुंच गई है।
आखिर किन कारणों से संसार की 33 फीसदी आबादी अपना देश छोड़कर परदेश में जीवनयापन करने पर मजबूर है? खुशहाल पंजाब से या देश के अन्य क्षेत्रों से हो रहे पलायन को रोकने के संबंध में केंद्र व राज्य सरकार को कारगर उपाय करने चाहिए जिससे विदेश जा रहे युवकों को देश में ही उंचे वेतन की नौकरी मिल सके। अगर इस समस्या पर अविलंब ध्यान नहीं दिया गया तो शीघ्र ही कर्मठ युवकों से विहीन हो जाएगा हमारा देश।
– अविनाश कुमार
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