पलक नहीं आवडे रे दाता, तुम दर्शन बिन मोय।
तुम दर्शन बिन मोय साँवरा तुम दर्शन बिन मोय होए॥ टेर ॥
तुम हो मेरे प्राण प्यारे मिलना, किन विध होय॥ टेर ॥
धान ना भावे, नींद ना आवे, विरह सतावे मोय।
घायल ज्यूं घूमत फिरूंरे, दरद ना जानें कोय॥ 1 ॥
दिवस घमायो खाय केरे, रैन घमायी सोय।
प्राण घमाया झारता रे, नैन घमायो रोय.। 2 ॥
जो मैं ऐसा जानती रे, प्रीत किया दुःख होय।
नगर ढिंढोरा पीटती रे, प्रीत करो नहीं कोय॥ 3 ॥
डगर बुआरूँ पथ निहारूँ, उबी मारग जोय।
मीरा के प्रभु कबहू मिलोगे, आप मिल्या सुख होय॥
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