पायोजी मैंने राम रत्न, धन पायो।
राम रत्न धन, कृष्ण रत्न धन, राम रत्न धन पायो॥ टेर ॥
वस्तु अमोलक, दी मेरे सतगुरु।
कर कृपा अपनायो॥ 1 ॥
जन्म जन्म की पूँजी पाई।
जग में सभी खिवायो॥ 2 ॥
खरच ना होवे, कोई चोर न लेवे।
दिन दिन बढत सवायो॥ 3 ॥
सत् की नाँव, केवटिया सत् गुरु।
भवसागर तिर जायो॥ 4 ॥
मीरा के प्रभु, गिरधर नागर।
हरख हरख, जश गायो॥ 5 ॥
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