पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र का अधिष्ठाता देवता “जल’ है

पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र : 27 नक्षत्रों के ाम में 20वें स्थान पर आने वाला यह नक्षत्र, राशि चा की कुल डिग्री के 253.20 से लेकर 266.40 डिग्री तथा धनु राशि के 13.20 डिग्री से 26.40 डिग्री के बीच में समाता है। “पूर्वाषाढ़ा’ नक्षत्र को अंग्रेजी में “सेट्टीगारी’, अरबी भाषा में “अन-नायिम’ तथा चीनी भाषा में “की’ के नाम से जाना जाता है। इस नक्षत्र में तारों की संख्या चार होती है तथा आकार में यह हाथी की सूंड-सा प्रतीत होता है। सितम्बर माह की रात में 8 से 9 बजे के बीच में इसे मध्याकाश में देखा जा सकता है। इस नक्षत्र का अधिष्ठाता देवता “जल’ है। पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र की ज्योतिषीय विशोंतरी दशा-महादशा का स्वामी ग्रह शुा है, अर्थात् इस नक्षत्र में उत्पन्न जातक की प्रारम्भिक महादशा “शुा’ ग्रह से संबंधित होगी। कूर्मचा के अनुसार पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र को पश्र्चिम दिशा का सूचक माना गया है, अतः राजकीय फलादेश करने वाले पश्र्चिम भाग की भविष्यवाणी हेतु इस नक्षत्र पर विचार करते हैं। एक अन्य मत के अनुसार प्रजापति के पुत्र दक्ष को पूर्वाषाढ़ा का देवता माना गया है। उन्हें सती का पिता भी माना जाता है। देवों में अत्यन्त शक्तिशाली होने के बावजूद भी भगवान शिव के श्राप एवं कोप के कारण उनके मस्तक के स्थान पर बकरे का मस्तक स्थापित किया गया है।

शारीरिक गठन : जातक का शरीर लम्बा एवं पतला होता है। उसके दांत सुन्दर, लम्बे कान, चमकदार आँखें, पतली कमर तथा लम्बे बाजू होते हैं, अर्थात् शरीर आकर्षक होता है।

 

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