पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र

स्वभाव एवं सामान्य घटना :- पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र के जातकों में प्रशंसनीय बुद्घिमत्ता होती है। उनमें अपने सम्पर्क में आने वाले व्यक्ति के बारे में तुरन्त निष्कर्ष निकालने की प्रवृत्ति होती है। उनसे बातों या वाद-विवाद में जीतना मुश्किल होता है तथा दूसरों को कायल करने की उनमें भरपूर योग्यता होती है। भले उनसे कितनी भी सलाह ले लो, किन्तु ये स्व़यं दूसरों की सलाह नहीं मानते। हालॉंकि ये लोग साहसी होने का दावा करते हैं, लेकिन जब तक कोई व्यक्ति या परिस्थिति मजबूर ना कर दे तब तक कोई साहसपूर्ण कार्य करने से बचते हैं। निर्णय लेने के मामले में ये अस्थिर रहते हैं। कई बार तो छोटे-छोटे निर्णय भी नहीं ले पाते, लेकिन यदि बिना सोचे-समझे कोई निर्णय ले लिया, तो अन्त तक उस पर अड़े रहते हैं। बदले में कुछ पाने की इच्छा किये बिना दूसरों की भलाई करना चाहते हैं, लेकिन दिमागी अस्थिरता के कारण तीखी आलोचना के शिकार हो जाते हैं। अन्जान व्यक्तियों से इन्हें लाभ मिलता है। ये धार्मिक, विनम्र तथा पाखण्ड से दूर रहने वाले तथा श्रद्घालु लोगों को भोजन करवाने में रुचि रखते हैं। अच्छे संग्रहकर्त्ता होते हैं एवं पूजा-पाठ व धार्मिक अनुष्ठानों में अपना समय व्यतीत करने में आनन्द प्राप्त करते हैं।

शिक्षा, रोजगार एवं व्यवसाय के साधन :- यद्यपि जीवन के किसी भी क्षेत्र में कार्य कर सकते हैं लेकिन डॉक्टरी, ललित कला, गुप्त विद्या, दर्शनशास्त्र, न्याय, वकालत, बैंक, अनाज, दवाखाना, दलाली, बाल-चिकित्सा, रेलवे आदि क्षेत्रों में इन्हें अधिक सफलता प्राप्त हो सकती है। 32 वर्ष की आयु तक का समय अस्थिर एवं भूलों-संकटों को समय होता है तथा 32 से 50 वर्ष की आयु का समय बहुत अच्छा रहता है।

पारिवारिक जीवन एवं स्वास्थ्य :- इन्हें अपने माता-पिता से खास लाभ नहीं मिलता, लेकिन भाई-बहिनों से अवश्य ही लाभ प्राप्त कर लेते हैं। अधिकतर समय विदेशों में बीतता है। वैवाहिक जीवन सुखमय ही होता है तथा पत्नी एवं ससुराल की तरफ झुकाव रहता है। इनके बच्चे भी आज्ञाकारी एवं नाम रोशन करने वाले होते हैं। स्वास्थ्य के मामले में ऊपर से ठीक नजर आते है लेकिन भीतर से कमजोर होते है। इन्हें तेज खॉंसी, श्र्वास की समस्या, क्षय रोग, दिल का दौरा, मलेरिया, गठिया दर्द, फेफड़ों का रोग आदि होने की सम्भावना अधिक रहती है।

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