जब आप तलाश नहीं भी कर रहे होते हैं, प्यार उस वक्त भी दस्तक देता हुआ आ जाता है। इसलिए लोगों को प्यार हर जगह, हर समय और कैसे भी मिल जाता है। आपको उस शख्स का किस्सा तो याद होगा, जिसने भूले से अपनी कार का अगला पहिया गड्ढे में डाल दिया था और कीचड़ के छींटें राह चलती एक लड़की पर जा पड़े थे। उसकी सारी पोशाक खराब हो गयी थी। उस शख्स ने माफी मांगी और लड़की को घर तक छोड़ने का ऑफर दिया। उन्हें रास्ते में प्यार मिल गया और बाद में दोनों की शादी हो गयी।
आज कार्यस्थल उन प्रमुख जगहों में से हैं, जहां लोगों को प्यार मिल जाता है। टेली सीरियल “संजीवनी’ के सेट पर काम करते हुए गुरदीप कोहली और अर्जुन पुंज को प्यार हो गया था। अब दोनों शादी के बंधन में बंधे हुए हैं। गुरदीप कहती हैं, “”काम आनंदमय हो जाता है जब आप उसके साथ काम कर रहे हों, जिसे डेट कर रहे हों। टेलीविजन शो के लिए घंटों काम करना पड़ता है, लेकिन जब अर्जुन साथ होता है तो समय को पंख लग जाते हैं। लेकिन एक बार अर्जुन दुविधा में पड़ गया। उसे एक सीन में मुझे दीवार की ओर धक्का देना था। वह पूरे समय मेरे लिए अफसोस करता रहा। लेकिन कुल मिलाकर कार्यस्थल पर अर्जुन का साथ शानदार रहता है।”
कल तक पुरुष का काम रोटी कमाना और महिला का रोटी पकाना था। लेकिन आज शिक्षा व समान अवसर के कारण हर जगह मर्द के साथ औरत भी मौजूद है। इसलिए तकरीबन आधे वर्कर कार्यस्थल पर किसी न किसी के साथ भावनात्मक रूप से जुड़ जाते हैं। जब व्यक्ति सुबह छः बजे घर छोड़ देगा और रात आठ बजे लौटेगा, तो वह अपना ज्यादा समय कार्यस्थल पर ही गुजारेगा। इसलिए उसे वहीं संभावित प्रेम पाने का सबसे अच्छा विकल्प मिलता है। इस संदर्भ में विशेषज्ञों का कहना है, कार्यस्थल पर महिला और पुरुष एक टीम के रूप में अपना कौशल बांटने के लिए साथ आते हैं। इसलिए किसी भी कार्यस्थल पर आकर्षण सामान्य बात है और यह नियम कैफे, फिटनेस सेंटर, नाइट क्लब या पार्क पर भी लागू होता है। काम पर पुरुष व महिला अपना बहुत ज्यादा समय एक साथ गुजारते हैं, जिससे अतिरिक्त संपर्क का अवसर मिलता है। इस तरह भावनात्मक तालमेल बैठता है, जिसका नतीजा डेटिंग प्रिाया में सामने आता है। यह सिर्फ जिस्मानी रिश्ते तक भी सीमित रह सकता है। साथ ही लड़कियां जो चाहती हैं, उसके लिए वे अधिक साहसी हो गयी हैं। लड़कियां खुल रही हैं, नये टेंड स्थापित हो रहे हैं। लेकिन आज भी चाहत यही है कि पहल पुरुष ही करे। बहरहाल, कार्यस्थल पर प्यार के फायदे भी हैं और नुकसान भी।
फायदे यह हैं कि सहकर्मी को आप सभी मूड्स में देख लेते हैं- तनावग्रस्त, रिलैक्स्ड, चिंतित आदि। कार्यस्थल आरामदायक जगह है, जहां किसी भी ची़ज का भय नहीं होता। आपके पास बांटने का पर्याप्त समय होता है और आप अपने साथी की दिलचस्पियों, आदतों व विचारों को अच्छी तरह से जान जाते हैं। लम्बी कॉफी ब्रेक के दौरान आप किसी भी विषय पर लम्बी बातचीत कर सकते हैं।
लेकिन कार्यस्थल पर प्रेम, काम और प्यार या दोनों को ही प्रभावित करता है। यह रा़ज आपके सहकर्मियों पर खुल सकता है और कार्यस्थल के समीकरण बिगड़ सकते हैं। कार्यस्थल पर रोमांस इरोटिक लव पर आधारित होता है यानी जिस्मानी आकर्षण पर और इसलिए आसानी से खत्म भी हो जाता है जिससे पीछे दर्द, कड़वाहट और ईर्ष्या रह जाती है। अगर ताल्लुक खराब हो जाए और रोज ही एक्स को देखना पड़े, तो काम करने की इच्छा गायब हो जाती है।
गॉसिप और उपहास आपकी प्रगति में बाधा बन सकते हैं। सहकर्मियों को ठगे जाने का अहसास हो सकता है और वह जान-बूझकर कंपनी को आर्थिक नुकसान पहुंचा सकते हैं। एक साथी की एक खराब चाल दूसरे से भी जोड़ दी जाती है। आज, बहुत से कार्यस्थल बेवफाई के लिए उपजाऊ जमीन बन गये हैं।
इसी संदर्भ में निम्न बिंदुओं पर विशेष रूप से गौर करें-
- प्रेम रहस्यमय अंदाज में अपना जलवा दिखाता है, इसलिए कार्यस्थल पर रोमांस किया जा सकता है, लेकिन बहुत-सी कंपनियां सख्ती के साथ कार्यस्थल पर रोमांस पर पाबंदी लगाती हैं।
- अपने प्रति ईमानदार रहें और यह सुनिश्र्चित कर लें कि आप अपने घर की परेशानियों या तनाव से बचने के लिए तो कार्यस्थल पर नैन नहीं लड़ा रहे हैं।
- काम और रोमांस के प्रति प्रोफेशनल रहें और दोनों को अलग-अलग रखें।
- अफेयर को गुप्त रखें। दफ्तर का समय रोमांस, ई-मेल, लव नोट्स के लिए इस्तेमाल न करें। अन्य सहकर्मियों के साथ भी स्वस्थ दोस्ती रखें।
- एक-दूसरे के बहुत करीब न जाएं और सामाजिक कार्यामों में साथ न जाएं। यह भी जरूरी है कि कार्यस्थल पर प्रेमियों को न बदलें।
– नरेन्द्र कुमार
You must be logged in to post a comment Login