विक्रम एक विवाहित कर्मचारी था, जिसे अपने ही ऑफिस की किरण नामक एक सुन्दर युवती से प्रेम हो गया, किन्तु ज्यों ही किरण ने एक अन्य युवा व कुंवारे युवक से विवाह कर लिया तो विक्रम को अपनी दुनिया वीरान लगने लगी। उसने अपनी पत्नी आशा व दो मासूम लड़कियों की भी परवाह न की और एक रात्रि सोने के पूर्व ढेरों नींद की गोलियां खाकर अपनी इहलीला समाप्त करने की कोशिश की। वह तो आशा ने नींद की गोलियों का पैकेट देखा तो शीघ्र डॉक्टर को फोन किया, तब कहीं जाकर उसके पति की जान बच पाई।
ऐसे दर्जनों भावुकतापूर्ण किस्से हमें अपने आसपास घटते मिलते हैं। आजकल तो कुछ स्कूली किशोर लड़के जिस लड़की से प्रेम करते हैं, उसकी जान लेने से भी नहीं हिचकिचाते। एक लड़की का एक विवाहित युवक से वर्षों तक प्रेम चला। वह लड़की उस युवक से विवाह करना चाहती थी। जब विवाहित युवक ने अपनी पत्नी को तलाक देने से इंकार कर दिया तो उस लड़की ने सल्फास की गोली खाकर जान दे दी। इस तरह की घटनाएं रोजमर्रा की बात हो चुकी हैं।
अतिभावुकता में लिया निर्णय- प्रेम, मानव का स्वभाव है। जब थोड़ी-सी सहानुभूति से प्रभु भी प्रेम करने लगते हैं तो मानव मन की क्या बिसात है कि वह अपने प्रति आकर्षण रखने वाले से प्रेम न करे, किन्तु प्रेम को लेकर ऐसी कुंठा पाल लेना कि यदि प्रेमी आपका न हुआ तो जान ही दे दी जाए, यह तो अत्यंत घातक निर्णय है। यह तो संकीर्णता ही होगी, जबकि प्रेम तो अपने आप में एक गहरी भावना है। यह भी सोचना होगा कि प्रेमी भी एक सामाजिक प्राणी है। उसकी भी अपनी जिम्मेदारी है। आवश्यक नहीं कि वह आपसे भी उतना ही प्रेम करे। खासकर विवाहेत्तर संबंधों में ऐसी अतिशय भावुकता दिखाना तो सरासर बेवकूफी ही कहलाएगी, जहां लड़का या लड़की यह सोचें कि उसका विवाहित प्रेमी अथवा प्रेमिका अपने परिवार को छोड़ अथवा तोड़कर उसका हो जाएगा। यह एकतरफा स्वार्थपूर्ण सोच होगी।
किसी युवक या युवती में प्रेम के नाम पर एक ऐसा भूत-सा सवार हो जाता है कि वह जिससे प्रेम कर रहा है, उस पर मात्र उसी का अधिकार है, तो यह भी पहले दरजे की घटिया धारणा है। यह तो प्रेम के नाम पर मोनोपली या ब्लैकमेलिंग ही होगी कि आप किसी से प्रेम करते हैं, अतः उसे किसी से बात करते या हंसते-बोलते नहीं देख सकते। यह प्रेम की आड़ में अपने प्रिय पर किया जाने वाला अत्याचार है। कुछ लोग इतने पजेसिव हो जाते हैं कि यदि वे कुछ ऐसा-वैसा अपने प्रिय के प्रति देख-सुन लेते हैं तो बिना सच्चाई जाने ही आत्मघात कर लेते हैं। जब तक आप सच नहीं जान लेते, तब तक आपको यह कतई अधिकार नहीं होता कि प्रेमी या प्रेमिका के चरित्र पर कीचड़ उछालकर उसे दोषी ठहराते हुये स्वयं ही खुदकुशी कर लें। यह खुदकुशी कई बार हंसी का कारण भी बन जाती है।
किसी भी युवा लड़के या लड़की से माता-पिता व परिवार तथा समाज को आशाएं होती हैं। सभी में गुण-दोष होते हैं। अतः प्रेम में धोखा खाने पर आत्महत्या के बदले दूसरे विकल्पों पर ध्यान दें तो हमारा जीवन औरों को खुशी देने में सार्थक होगा।
-जोगेश्र्वरी संधीर
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