बच्चों की सरकार

अगर बन जाती दुनिया में,

नन्हें बच्चों की सरकार।

बड़ा म़जा तब आता यारों,

बच्चों का होता संसार।

ऊँचे-ऊँचे पद पर बच्चे,

सभी नौकरी पाते।

नहीं काम कुछ करना पड़ता,

सभी खेलते-खाते।

बड़े-सयानों से मैं कहता,

बच्चों को मत डांटो।

यह सरकारी ऑर्डर होता,

मुफ्त मिठाई बांटो।

सभा, सिनेमा, पिक्चर, नाटक,

उस छोटे संसार के।

बिना टिकट सब बच्चे जाते,

बच्चों की सरकार के।

जो चाहे सो पढ़ने जाता,

जो चाहे सो खेले खेल।

किन्तु रहे इस दुनिया में,

सदा सभी बच्चों में मेल।

 

– राजकुमार जैन ‘राजन’

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