बजरंग बाला, फेरूं थारी माला।
सालासर हनुमान, सिंवरूँ बजरंग ने ॥ टेर ॥
सालासर थारलो भवन बिराजे, झालर शंख टिकोरा बाजे।
हरदम थारे नौबत बाजे, चढ रहया, घृत सिंदूर॥ 1 ॥
तुम हनुमन्ता हो दुःख भन्जन मोटे पाँव, बडे भुज दन्डन।
दुष्ट मारकर कर दिये खन्डन, मुख पर बरसे नूर.। 2 ॥
रामचन्द्रजी के सार दिये काजा, सागर ऊपर बाँध दिये पाजा।
रावण सरीखा मार दिये राजा, कर दिया चकना चूर॥ 3 ॥
बजरंग को संसार मनावे, सबका बेडा पार लगावे।
लच्छी राम ब्राह्मण गावे, विद्या देवो जी भरपूर॥ 4 ॥
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