दोस्तों, तुमने मूंगे के बारे में पढ़ा होगा। तुम तो जानते ही हो कि मूंगे को आभूषणों में प्रयोग किया जाता है। मनुष्य प्राचीनकाल से लाल रंग के मूंगों को आभूषणों में प्रयोग करता आ रहा है। रोम के लोग मूंगे को अपने बच्चों के गले में पहनाते हैं। इसके पीछे उनका एक अपना विश्र्वास है, वह यह कि मूंगा पहनने से कोई बीमारी नहीं होती है और अचानक आने वाले खतरों से यह बच्चों की रक्षा भी करता है।
आज भी इटली के लोगों का यह विश्र्वास है कि मूंगा पहनने से बुरी ऩजर का असर नहीं होता। अपने देश भारत के लोग भी अंगूठी में मूंगे का प्रयोग करते हैं। अब हम तुम्हें बताते हैं कि मूंगा असल में है क्या चीज।
मूंगे का निर्माण पोलिप नामक समुद्री जीवों द्वारा किया जाता है। ये नली के आकार के छोटे से जीव होते हैं, जो पानी के नीचे समुद्री चट्टानों में लाखों की संख्या में एक-दूसरे से चिपके रहते हैं। ये समुद्री जीवों से बचने के लिए अपने शरीर के चारों ओर चूने के एक खोल का निर्माण करते हैं। इनके शरीर का यही खोल मूंगा कहलाता है। चूने के इसी ढांचे से समुद्रों में बहुत-सी चट्टानों और टापुओं का निर्माण होता है। इन्हें हम मूंगा चट्टान और मूंगा टापू कहते हैं। पोलिप द्वारा चूने से बनाए गए खोल में समुद्र के बहुत से रंगीन पदार्थ मिल जाते हैं, जिनसे इनका रंग लाल, गुलाबी, हरा आदि हो जाता है। इन्हीं रंगीन खोलों से हमें अलग-अलग रंग के मूंगे प्राप्त होते हैं। पोलिप नामक समुद्री जीव दक्षिणी प्रशांत महासागर, हिंद महासागर और मध्य सागर में अधिक मिलते हैं। जिन जंतुओं से लाल और गुलाबी मूंगे प्राप्त होते हैं, वे अक्सर मध्य सागर में अफ्रीका और इटली के किनारों पर मिलते हैं। इनसे प्राप्त मूंगों को और अधिक चमकाने के लिए पॉलिश भी की जाती है। बाद में यही पॉलिश किए हुए मूंगे आभूषणों में प्रयोग किए जाते हैं।
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