ख़बर कुछ ऐसी उड़ाई किसी ने गॉंव में
उदास फिरते हैं हम बेरियों की छॉंव में
नज़र-नज़र से निकलती हैं दर्द की टीसें
कदम-कदम पे वो कॉंटे चुभे हैं पॉंव में
हर एक सम्त से उड़-उड़ रेत आती है
अभी है जोर वही दश्त की हवाओं में
चले तो हैं किसी आहट का आसरा लेकर
भटक न जायें कहीं अजनबी फिज़ाओं में
धुआँ-धुआँ-सी है खेतों की चॉंदनी बा़की
कि आग शहर की अब आ गई है गॉंव में
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