बिजिंग ओलंपिक 2008 उलटी गिनती शुरू!

08-08-08। यह वह तारीख है, जिसका पूरी दुनिया के खेल-प्रेमियों को बेसब्री से इंतजार है। जी, हां! बीजिंग ओलंपिक, 2008 आगामी 8 अगस्त से ही शुरू होने जा रहा है, जिसकी उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है। पूरे चीन में इस महान ऐतिहासिक क्षण को लेकर बेहद रोमांच है। मेजबान शहर दुल्हन की तरह सजाया गया है। शहर का कोना-कोना साफ-सुथरा किया गया है, जो रंग-रोगन के बाद चमकने-दमकने लगा है। हजारों चीनी युवा बतौर वालेंटियर शहर की हर छोटी-बड़ी सड़क में देसी-विदेशी मेहमानों की सुविधा के लिए, मुस्कुरा कर उनका स्वागत करने के लिए, और चीन को एक महान मेजबान के रूप में इतिहास में दर्ज कराने के लिए मुस्तैद हो चुके हैं।

सन् 1896 से शुरू हुए आधुनिक ओलंपिक खेलों में एशिया को मेजबानी के बहुत कम अवसर मिले हैं। ओलंपिक खेलों के शुरू होने के पौन शताब्दी बाद सन् 1964 में पहली बार एशिया में टोक्यो को इन महान खेलों की मेजबानी का अवसर मिला। इसके 24 साल बाद दक्षिण कोरिया की राजधानी सियोल को यह ऐतिहासिक श्रेय मिला और अब चीन उस इतिहास का हिस्सा बनने जा रहा है यानी एक शताब्दी और 12 सालों के आधुनिक ओलंपिक इतिहास के सफर में एशिया को महज 3 बार ही अभी तक इन खेलों की मेजबानी का श्रेय हासिल हुआ है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि ओलंपिक खेलों की मेजबानी हासिल करना कितने बड़े सम्मान की बात है। एशियाई देशों को ज्यादा मेजबानी न मिलने के पीछे शायद सबसे बड़ा कारण इतिहास में एशियाई देशों का इन खेलों में लचर प्रदर्शन रहा है। मगर हाल के कुछ दशकों में एशियाई देशों ने अपने खेलों का स्तर काफी ऊंचा उठाया है। लेकिन इस सबके बावजूद सन् 2004 यानी पिछले ओलंपिक खेलों में पदक जीतने वाले पहले 10 देशों में महज 3 एशियाई देश ही शामिल रहे।

2004 की ओलंपिक पदक तालिका में चीन ऐतिहासिक छलांग लगाते हुए अमेरिका के बाद पदक तालिका में दूसरे नंबर पर रहा। अमेरिका को जहां इन खेलों में 36 स्वर्ण पदक मिले थे, वहीं चीन उससे महज 4 कम यानी 32 स्वर्ण पदक हासिल करके दूसरे नंबर पर रहा। जापान दूसरा एशियाई देश था, जिसने 16 स्वर्ण पदक हासिल करके पदक तालिका में 5वां स्थान सुनिश्र्चित किया था तो दक्षिण कोरिया 9 स्वर्ण पदक हासिल करके पदक तालिका में 9वें स्थान पर रहा। इस पदक तालिका से दो बातें साफ हो जाती हैं- पहला तो मेजबानी का श्रेय उन्हीं देशों को हासिल होता है, जो इन खेलों में अपनी चमक बिखेरते हैं और उससे पहले ओलंपिक खेलों की मेजबानी की पदक तालिका में जिस तरह से एशियाई देशों का अभाव दिखता है, उससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि ओलंपिक खेलों की मेजबानी हासिल करना कितने बड़े गौरव की बात है और चीन आज इस गौरव का भरपूर एहसास कर रहा है। यह समूचे चीन की इन खेलों को लेकर की जा रही तैयारियों की छोटी से छोटी बात में झलकता है।

भले ही इतिहास में कभी चीन को अफीमचियों का देश कह कर उसकी खिल्ली उड़ाई गई हो। लेकिन पिछले 59 सालों का इतिहास इस बात की चीख-चीख कर पुष्टि कर रहा है कि चीन के जैसा धुनी और जुनून से लबरेज कोई दूसरा देश नहीं है। इन खेलों के आयोजन को अगर कुछ देर के लिए एक तरफ कर दें तो भी पिछले लगभग 60 सालों में यानी जब से चीन में कम्युनिस्ट सत्ता आई है, तब से चीन ने विकास, खासतौर पर बुनियादी ढांचे को खड़ा करने के सिलसिले में चौंकाने वाले ऐतिहासिक रिकार्ड कायम किए हैं। चाहे पूरे चीन में सड़कों के जाल बिछाने का काम हो, बड़े-बड़े बांध बनाकर ऊर्जा की जरूरत को पूरा करने का सवाल रहा हो या पूंजीवादी देश न होते हुए भी बाजार अर्थव्यवस्था में सिरमौर साबित होने का सफर रहा हो।

बहरहाल, चीन के इन दूसरे क्षेत्रों की ऐतिहासिक उपलब्धियों के विस्तार में फिलहाल हम नहीं जा रहे, हालांकि अगले 20-25 दिनों के भीतर पूरी दुनिया से 60 हजार से ज्यादा जो पत्रकार व मीडियाकर्मी चीन पहुंच रहे हैं, वह महज बीजिंग ओलंपिक खेलों की सूचनाएं देने के लिए ही चीन की सरजमीं पर कदम रखने नहीं जा रहे, बल्कि वह चीन के ऐतिहासिक, सामाजिक और आर्थिक विकास की सूचनाएं व आंखों देखा हाल भी अपने-अपने देश की जनता को सुनाना चाहते हैं। जैसा कि लेटिन अमेरिका के देश कोलंबिया के एक पत्रकार जुआन रोसो ने एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान कहा भी कि उनके देश के लोग सिर्फ बीजिंग में सम्पन्न होने वाले ओलंपिक खेलों के नतीजों को जानने के लिए ही उत्सुक नहीं हैं वरन् लोग यह भी जानना चाहते हैं कि आखिर चीन के जादुई आर्थिक विकास का कारण क्या है? क्या सचमुच इस संबंध में सच्चाई वही है, जो पूंजीवादी मीडिया अभी हाल के सालों तक फैलाती रही है कि चीन में लोकतंत्र न होने के कारण कामगारों का भयानक श्रम-शोषण हो रहा है और यह विकास उसी श्रम-शोषण की बिनाह पर टिका है या फिर सचमुच चीन की इस ऐतिहासिक विकास-गाथा के पीछे कोई और ही चमत्कार छिपा है? पूरी दुनिया के लोग चीन के बारे में बहुत कुछ जानने को इच्छुक हैं। चीन की अर्थव्यवस्था, उसका सांस्कृतिक विस्तार, इतिहास, लोगों की जीवन-शैली और चीन के मशहूर पर्यटन स्थलों के बारे में। पूरी दुनिया में लोग चीन को जानने-समझने को अगर इस कदर उत्सुक हैं तो शायद इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि चीन में मीडिया को कभी भी भरपूर आजादी नहीं मिली। इसलिए चीन के बारे में लोगों की ज्यादा जानकारी नहीं है। चीन एक बंद समाज के रूप में मशहूर रहा है। इसलिए भी इन खेलों को लेकर पूरी दुनिया की मीडिया सजग और उत्सुक है। साथ में रोमांचित भी, क्योंकि चीन ने घोषणा की है कि खेलों के दौरान विश्र्व मीडिया को पूरी आजादी होगी। वह चीन को अपने नजरिए से अपने देश की जनता के सामने प्रस्तुत कर सकती है।

कुल मिलाकर चीन में यह ऐतिहासिक रोमांच और उमंग के क्षण हैं। हर तरफ सिर्फ और सिर्फ बीजिंग ओलंपिक खेलों की ही चर्चा हो रही है। चीन अपनी तरफ से किसी भी प्रयास में जरा भी कोई कसर नहीं छोड़ना चाहता, जिससे कि इन खेलों की ऐतिहासिक श्रेष्ठता पर जरा भी आंच आए। चीन जिस तरह से इन खेलों की मेजबानी को शत-प्रतिशत सफल और “न भूतो न भविष्यति’ का जामा पहनाने पर तुला है, वहां उसमें गौरव-बोध की ऐतिहासिक ललक का भी दर्शन होता है। कुछ भी हो, यह पूरी दुनिया के लिए एक महान अवसर है और बीजिंग ओलंपिक में चीन ऐसी कोई कसर नहीं छोड़ना चाहता कि बाद में लोग कहें, जरा-सा ऐसा होता तो बात बन जाती। बीजिंग ओलंपिक का नारा है “एक विश्र्व, एक सपना’। बीजिंग में सम्पन्न होने जा रहे 29वें खेल समारोह अब तक के खेल इतिहास में सबसे ज्यादा हाइटेक होंगे। 8 अगस्त को जब इस खेल के महाकुंभ में दुनिया के 203 देशों के 10,500 खिलाड़ी बीजिंग में उपस्थित होंगे तो चीन का इतिहास गौरव-बोध से लबालब होगा। बीजिंग में जो खेलगांव बनाया गया है, उसमें 18,000 से ज्यादा यात्री ठहर सकते हैं। यह इस बात की तरफ इशारा है कि चीन ने तैयारियों को कितने बड़े पैमाने पर पूरा किया है। चीन अपनी इन तैयारियों के वृहद आकार से दुनिया को यह भी दिखाना चाहता है कि वाकई इस समय दुनियावी अर्थव्यवस्था का सबसे ताकतवर तेज रफ्तार इंजिन वही है।

पूरी दुनिया के खिलाड़ियों की ही नहीं, खेल-प्रेमियों की ही नहीं, इस खेल के आयोजन का कारोबार करने वाले लोगों की ही नहीं, बल्कि राजनेताओं और कूटनीतिज्ञों की भी नजरें बीजिंग ओलंपिक के आगामी ऐतिहासिक आयोजन पर टिकी हैं। चीन ने कई मायनों में आगामी बीजिंग ओलंपिक को अब तक के इतिहास में सबसे नायाब खेल आयोजन के रूप में दर्ज कराने की भरपूर व्यवस्था कर ली है। चाहे आयोजन संबंधी सुविधाओं का सवाल हो या इसके ऐतिहासिक और सांस्कृतिक ध्येय का मामला हो। बीजिंग ओलंपिक के लिए जो स्लोगन चुना गया है, वह है-एक विश्र्व, एक सपना। यह नारा अपने आप में चीन की बेहद गहरी, संवेदनशील और मौलिक सांस्कृतिक चेतना का उदाहरण है। इस सांस्कृतिक मोर्चे के साथ-साथ चीन ने इन ओलंपिक आयोजनों को ग्रीन ओलंपिक व हाइटेक ओलंपिक बनाने का भी संकल्प लिया है। इसीलिए 29वें ओलंपिक खेल आयोजन की थीम को ग्रीन ओलंपिक, हाइटेक ओलंपिक और पीपुल्स ओलंपिक के महत्वपूर्ण आयामों में बांधा गया है।

बीजिंग ओलंपिक खेलों की आयोजन समिति के अध्यक्ष ली क्यू के मुताबिक, “”हम इन ओलंपिक खेल समारोह के जरिए दुनिया को बताना चाहते हैं कि हम किस कदर पर्यावरण प्रेमी हैं और किस तरह दुनिया के बिगड़ते पर्यावरण को लेकर हम चिंतित हैं।” चीन ने अपनी इस पर्यावरणीय चेतना और चिंता को दर्शाने के लिए सभी आयोजन स्थलों को इस तरह से डिजाइन किया है कि उसमें जरा भी पर्यावरण का नुकसान न हो, बल्कि इससे पर्यावरण बेहतर हो। पिछले 8 सालों के दौरान बीजिंग के चप्पे-चप्पे में असंख्य पेड़ लगाए गए हैं। इन पेड़ों की बदौलत बीजिंग अचानक पिछले कुछ सालों में दुनिया की सबसे हरी-भरी राजधानियों में से एक हो गई है। सैकड़ों ऐसे उद्योगों को बीजिंग से निकाल कर बहुत दूर कर दिया गया है, जो प्रदूषण फैला रहे थे। यही नहीं, चीन सरकार ने आम बीजिंगवासियों से भी अनुरोध किया है कि वह उनके ऐतिहासिक मकसद को पूरा करने में अपनी क्षमता और सीमा में अधिकतम योगदान करें। कहना न होगा कि बीजिंग की जनता अपने देश के इस महान उद्देश्य में सरकार के साथ है।

इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब पिछले दिनों चीन में इस खेल आयोजन के दौरान 1 लाख वालेंटियर की जरूरत महसूस की गई और अखबारों में इस संदर्भ में इश्तहार दिए गए तो खेलों के दौरान स्वेच्छा से स्वयंसेवक बनने के लिए 10 लाख से ज्यादा लोगों ने आवेदन किया, जिसमें रिटायर्ड जज, सेवारत और रिटायर्ड इंजीनियर व डॉक्टर, तमाम कंपनियों के रिटायर्ड व सेवारत मैनेजर, छात्र, गृहिणियां और दूसरे तबकों के लोग शामिल थे। ओलंपिक आयोजन समिति के पास एक वालेंटियर चुनने के लिए 9 से 10 लोगों की च्वॉइस थी। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि आम बीजिंगवासी किस तरह से इन खेलों को ऐतिहासिक बनाने में अपनी छोटी से छोटी भूमिका के लिए उत्साह से भरे और जुनून से लबरेज हैं।

बीजिंग में सम्पन्न होने वाले 29वें ओलंपिक खेल अब तक के सर्वाधिक वैज्ञानिक व तकनीकी सोच, सिद्घांत व प्रिाया पर आधारित होंगे, जिससे खेल ज्यादा से ज्यादा विश्र्वसनीय, व्यावहारिक और उत्प्रेरक साबित हों। चीन ने इन खेलों को पीपुल्स ओलंपिक का नाम दिया है तो इसलिए, क्योंकि उसने इन खेलों को अपने नागरिकों के लिए दुनिया के दूसरे हिस्सों में बसे लोगों के साथ ऐतिहासिक संपर्क बनाने का माध्यम भी निश्र्चित किया है। चीन सरकार चाहती है कि उनके देश के नागरिक इन खेलों के दौरान दुनियाभर से 6 लाख से ज्यादा आने वाले अलग-अलग देशों के नागरिकों के साथ संपर्क व संबंध बनाएं। वैचारिक व सांस्कृतिक आदान-प्रदान हो और उनके देश के नागरिकों को दुनिया के दूसरे हिस्सों से आए नागरिकों से जीवन जीने के दूसरे ढंगों का पता चले।

बीजिंग इन ओलंपिक खेल समारोह को किसी भी तरह की समस्या से किसी भी तरह की असुविधा से मुक्त रखना चाहता है। पूरी दुनिया जानती है कि चीन की सबसे बड़ी समस्या भाषाई है। चीन के अधिकतर लोगों को महज अपनी मातृभाषा ही आती है। लेकिन इन खेलों के दौरान दुनिया के विभिन्न देशों से आने वाले पर्यटकों, खेल-प्रेमियों, खिलाड़ियों और खेल पदाधिकारियों को किसी भी तरह की भाषाई समस्या से जूझना नहीं पड़ेगा। क्योंकि इस दौरान चीन बीजिंगभर में 22 भाषाओं के तकरीबन 12,000 ऐसे भाषा विशेषज्ञों की बतौर वालेंटियर तैनाती करेगा, जो किसी भी विदेशी व्यक्ति की, किसी भी तरह की भाषाई समस्या को दूर करने में सौ फीसदी मददगार साबित होगा। इसके लिए चीन ने एक बड़ा भाषा विशेषज्ञों का पूल बनाया है जिसमें विदेशी भाषाओं के छात्र, प्रोफेशनल, विदेशी भाषा विशेषज्ञ, अनुवादक, यहां तक कि रिटायर्ड कूटनीतिज्ञों की भी इस मामले में बड़े पैमाने में मदद ली गई है। ये भाषा विशेषज्ञ शहर के 200 से ज्यादा जगहों पर खड़े होंगे और किसी भी भाषा की अड़चन से परेशान हो रहे विदेशी व्यक्ति को चाहे वह मदद मांग रहा हो या नहीं, सहायता करने की कोशिश करेंगे।

चीन हर तरह से इन खेलों को ऐतिहासिक और हमेशा याद रखे जाने लायक बनाने पर जी-जान से जुटा है। उलटी गिनती शुरू हो चुकी है, जब तक ये पंक्तियां छपकर आपके सामने पहुंचेंगीं, तब तक हो सकता है इन आयोजनों की धमाचौकड़ी आपके कानों में भी भरपूर ढंग से गूंज रही हो।

–     सारिम अन्ना

 

बॉक्स

खाना, रहना, घूमना सब कुछ

सस्ता और लग्जरियस होगा

29वें बीजिंग ओलंपिक के दौरान बीजिंग पहुंचने वाले सिर्फ खिलाड़ियों की ही आवभगत की भरपूर तैयारियां नहीं हुईं बल्कि खेल देखने पहुंचने वाले खेल-प्रेमियों और दूसरे पर्यटकों को भी इस दौरान शाही मेहमानों वाली खातिरदारी हासिल होगी। वह भी बेहद सस्ते में। दुनिया का कोई ऐसा मशहूर क्षेत्र या देश नहीं होगा, जहां के लजीज व्यंजनों को इस दौरान बीजिंग में उपलब्ध कराए जाने की व्यवस्था न की गई हो। भारत का तो खासतौर पर ख्याल रखा गया है, क्योंकि उम्मीद है कि हमारे खिलाड़ी भले ही न ज्यादा पहुंचें और पदक चाहे बिल्कुल भी न ला पाएं, लेकिन उत्साही खेल प्रेमियों और समारोह के दौरान बतौर पर्यटक सबसे ज्यादा जिन देशों के नागरिक बीजिंग पहुंचेंगे, उनमें हिन्दुस्तान पहले 3 देशों में से एक होगा। यही कारण है कि पूरे बीजिंग में 1 दर्जन से ज्यादा भारतीय लजीज व्यंजनों को परोसने वाले रेस्टोरेंट खुल गए हैं। इनमें कुछ पहले से खुले हुए हैं और कुछ हाल में खुले हैं, जो पंजाबी नान, तंदूरी चिकन, मुगलई, देसी शाकाहारी भोजन, चपातियां, बेहद मिर्च-मसाले वाले भोजन के साथ-साथ साउथ इंडियन खाने भी परोसेंगे।

ओलंपिक खेलों के दौरान जो भी विदेशी ओलंपिक टिकटधारी होगा, वह बसों में मुफ्त सफर कर सकेगा। गौरतलब है कि बीजिंग में हर 3 से 5 मिनट के बीच बस और इतने ही समय के अंतराल में तीव्र गति से चलने वाली सिटी टेनें मौजूद हैं। बीजिंग में लगभग 400 बस मार्ग हैं जिसमें 34 बस मार्ग तो अभी हाल के दिनों में बनाए गए हैं, जो विभिन्न जगहों से उन 37 स्टेडियमों को जोड़ते हैं, जहां आगामी बीजिंग ओलंपिक खेल सम्पन्न होने हैं। इनमें 31 स्टेडियम शहर के अंदर हैं और 6 नये स्टेडियम शहर के बाहर हैं। इन सभी स्टेडियमों में कुल मिलाकर 28 खेलों की 302 स्पर्धाएं संपन्न होंगी। 8 अगस्त को ओलंपिक खेलों की शुरूआत चिड़िया के घोंसले के आकार के बने बीजिंग के नेशनल स्टेडियम में होगी, जबकि इसी स्टेडियम में ही 24 अगस्त को समापन-समारोह सम्पन्न होगा। ओलंपिक ग्रीन क्षेत्र में स्थित इस स्टेडियम का क्षेत्रफल 2 लाख 58 हजार वर्गमीटर है। इसी स्टेडियम में एथलेटिक्स और फुटबॉल के मुकाबले होंगे, जबकि हॉकी के मुकाबले ग्रीन हॉकी स्टेडियम में होंगे, टेनिस के मुकाबले ग्रीन टेनिस कोर्ट में और स्विमिंग के मुकाबले नेशनल एक्वाटिक्स सेंटर में होंगे। बॉक्ंिसग के मुकाबले बीजिंग वर्कर्स स्टेडियम, निशानेबाजी के मुकाबले बीजिंग शूटिंग रेंज हॉल में होंगे, जो बीजिंग के सीजिंग्सन जिले में स्थित है। कुश्ती और तीरंदाजी के मुकाबले ामशः बीजिंग ओलंपिक ग्रीन आर्चरी फील्ड तथा चाइना एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी जिमनेजियम में होंगे और बैडमिंटन तथा रिद्मिक जिमनास्टिक के मुकाबले बीजिंग यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी जिमनेजियम में संपन्न होंगे।

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