स्त्री जातक – इनका शारीरिक गठन अति सुन्दर होता है। इनकी बादाम जैसी आँखों में चुम्बकीय शक्ति होती है तथा लम्बी नाक, मनोहर रूप, साफ रंग तथा सुन्दर बाल होते हैं। ये बुद्घिमान होती हैं तथा इनमें उत्साह, शक्ति एवं ओजस्विता पायी जाती है। इनमें हर वस्तु के प्रति लालसा होने के बावजूद जिद्द एवं हठीलापन नहीं होता। विपरीत परिस्थितियों में भी ये अपना संतुलन बनाये रखती हैं। किसी भी फैसले पर पहुँचने से पहले उसके अच्छे-बुरे की गहन जॉंच करती हैं तथा जो ठीक लगता है वही करती हैं, भले ही बाकी लोगों के विचार इनसे मेल खाये या नहीं। दृढ़-निश्र्चय तथा सुचरित्र होने के बावजूद अपने वायदों पर कायम नहीं रह पाती। अपने परिजनों में इनका स्थान अच्छा होता है, लेकिन अपने भाइयों एवं माता-पिता के प्रति इनमें द्वेष-भाव होता है। पालतू जानवरों से इन्हें लगाव होता है। इस नक्षत्र में उत्पन्न स्त्रियॉं ज्यादातर शिक्षित होती हैं। शिक्षिका, बैंक-कर्मचारी, धार्मिक संस्थाओं से सम्बद्घता, लेखन-प्रकाशन आदि क्षेत्रों से इनका जुड़ाव देखा जा सकता है।
इस नक्षत्र से जुड़ी स्त्रियॉं गृहकार्यों में दक्ष होती हैं। उम्र बीतने के साथ-साथ अपने पति के प्रति लगाव बढ़ता जाता है, जिससे इनका वैवाहिक जीवन अधिक खुशहाल होता जाता है। अपनी संतान से भी इन्हें लाभ प्राप्त होता है।
सामान्यतः इनका स्वास्थ्य ठीक रहता है, लेकिन फिर भी रोगों के मामले में सियाटिका, डायबिटीज, रुमेटिज्म, श्र्वसन तंत्र की तकलीफें, कूल्हे का गाउट, रक्त-विकार, टी.बी. की गॉंठें होना- आदि के अलावा गर्भाशय और बच्चेदानी की समस्याओं का सामना भी करना पड़ सकता है।
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