माई साहिबा

दिल्ली के आईआईटी नोट के महरौली रोड पर भीड़भाड़ वाले इलाके अधचीनी में एक दरगाह है “माई साहिबा’। 700 साल पुरानी यह दरगाह वालिदा हजरत निजामुद्दीन की दरगाह है। प्रत्येक बुधवार को यहॉं श्रद्घालुओं का तांता लगा रहता है। माई साहिबा की दरगाह पर हर बुधवार सायं 7.30 बजे मगरीब की नमाज के बाद दुआ होती है। वैसे तो दुआ हर रोज होती है, लेकिन बुधवार माई साहिबा का दिन है। कहते हैं कि महबूबे इलाही हर बुधवार को अपनी वालिदा से मिलने आते हैं। बहुत कम लोग यह जानते होंगे कि माई साहिबा महबूबे इलाही की वालिदा और गरीब नवाज की बहन हैं।

माई साहिबा पर हर बुधवार एक बाबा दुआ पढ़ने आते हैं, जिनका नाम हा़जी काशानी बाबा है। यूँ तो बाबा पिछले 46 वर्षों से रोज सुबह पॉंच बजे माई साहिबा की खिदमत में आ रहे हैं, लेकिन प्रत्येक बुधवार को वे लोगों के लिए दुआ पढ़ने आते हैं। हिन्दू हो या मुस्लिम, किसी भी वर्ग का हो, सबके लिए बाबा दुआ पढ़ते हैं। बाबा का परिवार 700 वर्षों से इस दरगाह की खिदमत कर रहा है।

ऐसा माना जाता है कि बुधवार शाम को दुआ के समय रखी गयी हर समस्या यहॉं दूर होती है और हर दुआ कबूल होती है। हर बुधवार को यहां लंगर बंटता है। काशानी बाबा के अनुसार माई साहिबा पर लोगों का इतना विश्र्वास है कि उनके पास बुधवार को दुआ से पहले विदेशों से भी फोन आते हैं और दुआएँ मांगते हैं। अफगानिस्तान, काबुल, हॉलैंड, मॉरिशस तक से यहां लोग मन्नत मांगने आते हैं।

– कीर्ति

You must be logged in to post a comment Login